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The Bhramjaal में आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि 'धर्मो रक्षति रक्षितः में कितना सच है?'
जानकारी के लिए बता दें कि धर्मो रक्षति रक्षितः मनुस्मृति के 8वें अध्याय के 15वें श्लोक का एक संस्कृत वाक्यांश है। सुनने में आता है कि कुछ लोग इसे मनुस्मृति के विवादित श्लोक की श्रेणी में भी रखते हैं।
हिन्दू धर्म में मनुस्मृति एक प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है। इस ग्रंथ को सर विलियम जोन्स द्वारा 1776 में अंग्रेजी में अनुवादित किया गया था। मनुस्मृति उन प्रथम संस्कृत ग्रंथों में से एक है, जिसका उपयोग ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा हिंदू कानून बनाने के लिए किया गया।
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धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक क्या हैं?
Sanskrit Shlok on Dharma Raksha, धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक, Dharmo Rakshati Rakshitah Full Sloka, Dharmo Rakshati Rakshitah in Sanskrit इस प्रकार है–
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Dharmo Rakshati Rakshitah Meaning
Dharmo Rakshati Rakshitah Meaning in Hindi - अर्थ है- जो लोग ’धर्म’ की रक्षा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं हो जाती है। इसे ऐसे भी कहा जाता है, कि ‘रक्षित किया गया धर्म आपकी रक्षा करता है’ या धर्म की रक्षा करने पर वह (रक्षा करने वाले की ) रक्षा करता है।
यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि- ‘धर्म’ शब्द का आशय हिन्दू, इस्लाम, बौद्ध, जैन, ईसाई और यहूदी आदि से नहीं है।
Dharmo Rakshati Rakshitah Meaning in English
Justice, blighted, blights; and justice, preserved, preserves; hence justice should not be blighted, lest blighted justice blight us.
~By Ganganath Jha
‘If protected, justice protects; if slain, it slays; therefore I shall never renounce justice; lest justice, being slain, may slay ourselves.’ - Mahābhārata (3.313.38)
~ By Various authors
धर्मो रक्षति रक्षितः म्हणजे काय?
धर्मो रक्षति रक्षितः Meaning in Marathi - 'धर्मो रक्षति रक्षितः' या संस्कृत वाक्याचा अर्थ आहे, "जे धर्माचे रक्षण करतात त्यांना धर्माचे संरक्षण दिले जाते"। अथवा वाक्याचा अर्थ असाही होतो की- 'धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा'।
धर्माचे रक्षण करण्यासाठी आपण खालील गोष्टी करू शकतो:
- आपल्या धर्माचे ज्ञान आणि समज वाढवा
- आपल्या धर्माच्या शिकवणींचे पालन करा आणि त्यांचे प्रचार करा
- आपल्या धर्माच्या संस्कृती आणि परंपरा जपून ठेवा
- आपल्या धर्माला आदर आणि सन्मान द्या
धर्म रक्षा के मायने क्या हैं?
धर्म, जिसे लोग समुचित जानकारी के अभाव में अपनी-अपनी परिभाषाएं देकर समझाने का प्रयास-दुष्प्रयास करते हैं। जैसे अक्सर सुना होगा कि "धर्म ही इस चराचर जगत एवं सम्पूर्ण जीवों के जीवन का मूल है!"।
लेकिन यह विचार किस धर्म के सन्दर्भ में कहा गया है? यह कोई नहीं बताता, कि धर्म वास्तव में क्या है?
- प्रेम और करुणा- धर्म है, जीवन के सभी रूपों के प्रति करुणा रखना।
- ईमानदारी और सच्चाई- धर्म है, अपने और दूसरों के प्रति सच्चा होना।
- नम्रता और अहिंसा- धर्म है, एक विनम्र और शांतिप्रिय व्यक्तित्व का निर्माण करना!
- सम्मान और देखभाल- धर्म है, सभी को एक समान देखभाल और सम्मान देना!
- समानता और शालीनता- धर्म है, सभ्य होना और सभी को शालीनता और समानता सिखाना।
- आत्म प्रेम और आत्म-देखभाल- धर्म है, सभी प्रकार की हानियों और बुराइयों से स्वयं को बचाना।
धर्म का आशय है, व्यक्ति के अपने कर्त्तव्य, नैतिक नियम, आचरण आदि। जो व्यक्ति इनका पालन करता है, वह धर्म की रक्षा करने वाला होता है। प्राचीन धर्मशास्त्रों में धर्म के स्वरुप का विभिन्न रूप से वर्णन किया गया है। यह व्यक्ति के समाज में विशेष कर्म, कर्तव्य, आचरण आदि से जुड़ा है।
मनुस्मृति में ही सामाजिक नियमों और कर्तव्यों को प्रत्येक व्यक्ति के समाज में उसकी स्थिति के हिसाब से अलग अलग बताया गया है। यह वर्ण आधारित, लिंग आधारित, राजा-प्रजा आधारित, रिश्ते आधारित, उम्र आधारित आदि है। सबके लिए अलग अलग कर्त्तव्य और कार्य तय किये गए हैं।
ब्राह्मण का कार्य अथवा कर्त्तव्य क्षत्रिय से सर्वथा अलग है, उसी प्रकार वैश्य और शुद्र के कार्य भी अलग-अलग बताये गए हैं। ठीक इसी तरह से एक स्त्री के कर्त्तव्य पुरुष से अलग है। चूँकि ये सब कर्तव्य धर्म और विधान से जुड़ा है, इसलिए इसे चुनौती देना धर्म की अवमानना करना समझा जाता था। इसके लिए दण्ड तक का विधान था। इस व्यवस्था के आधार पर, व्यक्ति जन्म से ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र हो जाता था तथा उसके कर्म व कर्त्तव्य उसी के अनुसार पालन करने होते थे।
धर्म का जो अर्थ सिद्धान्त में कर्त्तव्य, नैतिक नियम, आचरण आदि थे, वह व्यव्हार में बाध्यकारी सामाजिक नियम, सीमायें, विशेषाधिकार, वर्जनाएं आदि थे। आजकल भारत में धर्म का अर्थ जरुर हिन्दू धर्म, ईस्लाम, बौद्ध, जैन, ईसाई आदि है। यदि आज के सन्दर्भ में उस वाक्यांश का अर्थ लेंगे, तो कर्त्तव्य से सर्वथा अलग होगा वह (हिन्दू, ईस्लाम, बौद्ध, जैन, ईसाई आदि) धर्म की रक्षा करना जैसा हो गया है।
Dharmo Rakshati Rakshitah in Hindi | मुख्य अभिप्राय क्या है?
dharmo rakshati rakshitah Meaning: के दो अर्थ इस तरह है!
- धर्म लोगों की एकता आदर्श मर्यादा से बनता है।
- दैविक शक्तियाँ आप का समर्थन करती है व योग धर्म के मार्ग पर सहायता करता है।
लेकिन धर्म है क्या? इस पर सबके व्यक्तिगत अनुभव व संस्कारो के अनुसार धर्म की परिभाषा बनती है। आप निष्काम भाव से निस्वार्थता के साथ आदर्श व मानवीय कार्यों को करेंगे तो अवश्य ही धर्म आपकी रक्षा करेगा।
धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक से समझने वाली बात क्या है?
- ईसाई धर्म को बाकी के धर्म नष्ट नहीं कर सकते।
- इस्लाम को हिंदू धर्म खत्म नहीं कर सकता।
- हिंदू धर्म को इस्लाम समाप्त नहीं कर सकता।
- सिख धर्म को दूसरा कोई धर्म नष्ट नहीं कर सकता।
धर्म को नष्ट वह करते हैं जो उस धर्म का मानने वाला कह कर अधर्म का आचरण करते हैं। ढोंग, ढकोसला, अन्याय, अत्याचार, आडंबर, पाखंड, झूठ और फरेब जिस धर्म के लोग करेंगे वह अपने धर्म का नुकसान ही करेंगे।
मुसलमान अगर इस्लाम को नहीं मानेंगे तो मुसलमान तो बचेंगे इस्लाम नहीं बचेगा। हिंदू अगर धर्म को नहीं मानेंगे तो हिंदू तो बचेंगे लेकिन हिंदू धर्म खत्म जाएगा।
यही बात बाकी के धर्मों पर भी लागू होती है। अब जिसे अपना धर्म बचाना है बचा लो जिसे खत्म करना खत्म कर लो।
वैसे भी आज के समय में हर धर्म व्यापार बन चुका है, राजनीति करने का टूल मात्र है। ये श्लोक आदर्श मूल्यों के साथ योगी जीवन जीने की सलाह देता है! जो कोई भी जीना नहीं चाहता।
धर्मो रक्षति रक्षितः Meaning in Hindi : हिंदू धर्म में पहला बिन्दु एकता नहीं है। दूसरी आप पर निर्भर है, जो समय कार्य प्रयोजन इत्यादि पर निर्भर है कितना प्रतिशत यह सत्य घटित होता है। पर 100% कर्मयोग, ज्ञानयोग, ध्यानयोग, विज्ञानयोग, सेवायोग, मानवतायोग, प्रकृतियोग इत्यादि में से कोई धर्म की सेवा जीव-जंतुओ, पर्यावरण मानव इत्यादि के लिए कार्य करता है तो अवश्य धर्म आपकी रक्षा करेगा। रक्षा कई प्रकार से की जा सकती है। वह परिस्थितियों व समयचक्र पर निर्भर करता है।
वाक्यांश के बारे में अंतिम बात :
- यह वाक्यांश रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), भारत का सुप्रीम कोर्ट और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी का आदर्श वाक्य है।
- महाभारत में इस वाक्यांश का उल्लेख तीन बार आया है।
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