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Avasan Mata | Criticize of Durduriya Puja

द भ्रमजाल में एक बार फिर से आपका स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे अवध क्षेत्र में होने वाली Avasan Mata Katha यानि Durduriya Puja के बारे में...

Durduria-Pooja

द भ्रमजाल में एक बार फिर से आपका स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे अवध क्षेत्र में होने वाली Avasan Mata Katha यानि Durduriya Puja के बारे में। इस लेख की लेखिका ममता सिंह ने दुरदुरिया पूजा को भरपूर Criticize किया है।

यह दौर निश्चित रूप से स्त्री लेखन का है। सोशल मीडिया ने उनकी अभिव्यक्ति को नए और मजबूत पंख दिए हैं। साहित्य अब उस दौर में पहुंच चुका है, जब स्त्रियों के लेखन को नकारकर आगे बढ़ा तो लड़खड़ा कर गिर जाएगा।

Avasan Mata Katha : अवध क्षेत्र में सुहागिन स्त्रियों में बृहस्पतिवार को होने वाली दुरदुरिया पूजा (Durduriya Puja) बहुत प्रसिद्ध है। संस्कृति करण के चलते समाचार पत्रों आदि में इसे दु:ख-दुरिया यानी दु:ख दूर करने वाली पूजा कहा जाता है।

यदि आप Avasan Mata Katha पूरी सुनेंगे तो सहज ही जान लेंगे कि यह Durduriya यानी स्त्री को दुरदुराए जाने की कथा है।

अवसान माता की कथा क्या है?

हमारी तरफ की पंडिताइन लोग तीन-चार कहानियां ही अदल-बदल कर सुनाती हैं। जिसका कुल लब्बो-लुआब यह रहता कि-

एक राजा था एक रानी, रानी को कोई बेटा नहीं था तो लोगों के ताने से खीझकर राजा ने रानी को वन भेज दिया। रानी वन में रो रही थी कि एक बूढ़ी औरत ने उससे पूछा क्यों रो रही.. रानी ने कहा क्या बताने पर तुम मेरा दुख दूर कर दोगी.. बुढ़िया ने कहा हां.. रानी ने जब बताया कि राजा ने बेटा न होने के कारण रानी को महल से निकाल दिया तो बुढ़िया ने कहा जाओ कहीं से लाई, चना, गुड़ और 7 सुहागिनों को इकट्ठा करो और अवसान माई की कथा करो..

अवसान माता कथा कैसे की जाती है?

हर बृहस्पतिवार को अगर इकहरी कथा होनी है तो 7 सुहागिनें और अगर दोहरी तो 14, तिहरी तो 21 ऐसी संख्या में औरतें जुटती हैं, इन 7 में एक ब्राम्हणी रहती बाकियों में पूजा करवाने वाली की कोशिश रहती कि अपनी ही जाति की या अपने से उच्च जाति की सुहागिनें मिल जाएं ताकि पैरों में महावार लगाने, पैर छूने में झंझट न हो... पर एक समय में ही कई घरों में इस कथा के होने, या सुहागिनों को पीरियड आ जाने के कारण दूसरी जाति की सुहागिन औरतों को मन मारकर बुला लिया जाता है.. इसमें पहले लाई,चना, गुड़ आदि का प्रसाद होता था अब लाई, चना, बर्फी, पेड़े के प्रसाद के बाद चाय-नाश्ते का भी उत्तम प्रबंध रहता है।

अवसान कथा में क्या है?

अलग-अलग कहानी में कभी रानी की हथेली से मेढ़क पैदा होता है तो कभी अन्य जीव जो रात में राजकुमार बन जाता है या सीधे साक्षात राजकुमार ही पैदा होता है जो बड़ा होकर अपनी मां की महल में वापसी करवाता है... और अवसान माई की कृपा से राजा अपने बेटे को राजपाट दे देते हैं और रानी के साथ शेष जीवन सुख-पूर्वक बिताने लगते हैं।

कथा के अंत में यह ज़रूर कहा जाता है कि जैसे रानी के दिन बहुरे वैसे ही यह कथा सुनने वालियों के भी दिन बहुरें।

पहले की अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी महिलायें हों या आज की पढ़ी-लिखी महिलायें, सब इस कथा को श्रद्धापूर्वक पढ़ती, सुनती, करती, कराती हैं।

शादी के बाद मैंने भी इस कथा में कई बार हिस्सा लिया था पर जब इसकी कथा पर गौर किया तो दसियों साल पहले इस पूजा को करने से साफ़ इंकार कर दिया।

दुरदुरिया पूजा की आलोचना

Criticize of Durduriya Puja Hindi : यह स्त्रियों के लिए कितना अपमान जनक है कि बेटा न होने से उसका पति उसे घर से निकाल दे। अरे वह अपना चेकअप करवा लेता कि कहीं कमी उसी में तो नहीं। रानियों को जंगल में बूढ़ी औरतें ही मिलती हैं जवान पुरुष क्यों नहीं मिलते?

वह बूढ़ी औरतें जंगल में जाने क्यों भटकती रहतीं, उनके बेटे-बहू उन्हें जंगल जाने क्यों देते थे? जवान आदमी तो लकड़ी काटने भी जंगल जा सकता है पर कभी कोई रानी उसे नहीं मिलती (क्या पता वह लकड़हारा ही रहता हो जिसे रानी बूढ़ी औरत बता दी हो) फिर बिना सोनोग्राफी रानियों को हमेशा पुत्र ही हुए कभी कोई रानी चाहे वह सीता ही हों वह पुत्री लेकर महल नहीं लौटीं..

राजा कितना कुकुर जीव होता जो यह नहीं स्वीकार कर पाता कि उसमें कमी हो सकती है, वह अपने पुरुष और राजा होने के गर्व में रानी को घर से निकाल देगा और वह जब पुत्र लेकर लौटेगी तो यह जानते हुए भी कि वह इसका पिता नहीं किसी झूठी कहानी की बिना पर उसे अपना बेटा घोषित कर राजपाट दे देगा.. जवानी जंगल में गुज़ार कर बुढ़ापे में बेटा लेकर रानी महल में आकर ख़ुद तो परम आनंदित होगी ही आगे की औरतों को भी ऐसी कहानियों की मूर्खता का उत्तराधिकार देकर जायेगी।

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मैंने Avasan Mata Katha कहने वालियों से कहा कि अब समय बदल गया है कथा भी बदल दो, कहो कि कोई लड़की पढ़ना चाहती थी, आईएएस बनना चाहती थी उसके घर वाले भले वह पति नहीं पिता ही हों नहीं माने तो वह घर छोड़कर चली गई, फिर उसे कोई बूढ़ी औरत मिलती है जो उसे पढ़ाती-लिखाती है उसे कलेक्टर बनाती है ऐसे दिन बहुरने वाली कथा किसी के गले नहीं उतरी तो मैंने दूसरी कथा सुझाई।

कि कोई रानी महल से इसलिए निकाली गई कि उसे भी शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा लेने की जिद थी, उसे भी राजपाट चलाने का शौक था, वह यह जिद करती थी सो निकाल दी गई, तब वह जंगल में जाती है जहां उसे बूढ़ी औरत मिलती उसके कहने पर वह दुरदुरिया की कथा करवाकर एक बड़ी सेना लेकर आती और महल को जीतकर राज करती है।

लेकिन अफ़सोस दोनों कथाओं में न औरतों की रुचि रही न श्रद्धा। उन्हें पुत्र न होने पर पति द्वारा घर से निकाली गई स्त्री श्रद्धेय लगती है, वह मग्न हैं पुरानी कथा सुनकर तो मैंने ख़ुद को इन श्रद्धावानों की पंगत से ही अलग कर लिया।

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