The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम अपनी सरल Hindi में जानेंगे कि Bryan Johnson के बारे में। अधिकतर लोगों की ज...
अधिकतर लोगों की जिंदगी कुएं के मेंढक की कथा को दोहराते बीत जाती है!
सिर्फ कुछ ही होते हैं, जो अपने कुएं से निकल सरोवर और सागर देख पाते हैं!!
वह मध्यवर्गीय अमेरिकी युवा अपने आरामगाह से निकल कर पहली बार ऐसी दुनिया देख रहा था, जहां गरीबी थी, जहां लोगों के पास खुद अपने लिए समय नहीं था। चर्च के मिशनरी के रूप में वह इक्वाडोर देश पहुंच गया, जहां घूमते हुए उसे घर-घर मिशनरी के मत का प्रचार करना था।
एक दिन उसने एक मिट्टी से बने घर का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा क्या था, लकड़ी की कुछ तख्तियां थीं, जिन्हें डोरियों-रस्सियों से बांधकर खड़ा करने की कोशिश की गई थी। आड़ी तिरछी तख्तियों के बीच इतनी चौड़ी दरारें थीं कि जिनसे एक कमरे के उस घर के अंदर का पूरा नजारा दिख रहा था।
अंदर तीन बच्चे जमीन पर खेल रहे थे और उनकी मां रसोई में जुटी थी। दरवाजे पर दस्तक सुन मां द्वार तक आई, तो युवक ने अभिवादन करते हुए कहा कि हम The church of jesus christ के मिशनरी हैं। आप से चर्चा करना चाहते हैं।
यह सुनकर उस मां ने दरवाजे को पूरा खोलने की जहमत भी नहीं उठाई, शायद दरवाजा खुलता, तो बंद करना मुश्किल हो जाता। उस मां ने सोचा कि चर्चा में समय बर्बाद होगा, कहीं रसोई न बिगड़ जाए और टालते हुए कहा कि 'हम कैथोलिक हैं। मैं दोपहर का भोजन तैयार कर रही हूं, अलविदा।'
दरवाजे के बाहर खड़ा युवा दंग रह गया। दुख भी हुआ और अपमान भी कि मुंह पर ही दरवाजा मार दिया गया। वह सोच में पड़ गया। यह क्या देश है, धर्म की चिंता पर भोजन हावी है? अमेरिका में तो भोजन की कोई कमी नहीं, कुछ न कुछ खाते रहने का सिलसिला बना रहता है। अमेरिका में जलापूर्ति लगातार होती है, गर्म पानी भी सदा सुलभ रहता है। डॉक्टर चंद कदम दूर सेवा को तत्पर मिलते हैं, पर यहां भोजन की चिंता में आदमी दिन-रात परेशान है, तब उसका जीवन कैसे संवरेगा?
इक्वाडोर की समस्याओं ने उस युवा को एक नए संसार में ला खड़ा किया, पर उसने ठान लिया कि ऐसी दुनिया को बदलना होगा। एक ऐसी दुनिया बनानी पड़ेगी, जहां कोई बुनियादी अभाव न हो, जहां लोग लंबा जीवन जी पाएं। वह करीब दो साल इक्वाडोर में रहा।
वहां रहते अपने संकल्प को धार देता रहा और अपने घर अमेरिका लौटकर परिवार वालों को साफ बता दिया कि वह नौकरी नहीं करेगा, व्यवसाय करेगा। इतने पैसे कमाएगा कि 30 की उम्र तक रिटायर हो जाए और उसके बाद दुनिया के लिए कुछ ऐसा करेगा कि सबको फायदा हो।
तब परिवार को यही लगा था कि 21 वर्षीय नौजवान का अहंकार और बड़बोलापन जोर मार रहा है। उसे गंभीरता से नहीं लिया गया, पर उस नौजवान ने डर, अफसोस, नाकामी जैसे शब्दों को पहले ही जिंदगी से निकाल बाहर किया था, वह दौलत की सीढ़ियां चढ़ता गया। 30 तो नहीं, पर 34 की उम्र में उसने अपनी कंपनी Braintree Venmo को 80 करोड़ डॉलर अर्थात 6,800 करोड़ रुपये में बेच दिया।
दुनिया ने पहली बार जाना कि महज 34 की आयु में एक उद्यमी Bryan Johnson जीविका संबंधी कामकाज से रिटायर हो गए हैं। कई लोग आलोचना में उतर आए कि अब क्या करोगे? जॉनसन ने फिर लोगों को समझाया, 'मैंने 21 की उम्र में ही संकल्प कर लिया था। अब जिंदगी का एक ही मकसद है कि बगैर तनाव के जितना मुमकिन हो, उतना जीना है। अमर तो हर कोई होना चाहता है, पर मरने से बचने की गंभीर प्राकृतिक-वैज्ञानिक कोशिश में करने जा रहा हूं।' वह जुट गए कि उम्र की रफ्तार को कैसे धीमा किया जाए। तन और मन पर कैसे नियंत्रण स्थापित किया जाए, अंग-प्रत्यंग को कैसे जवान रखा जाए?
Bryan Johnson की पूरी टीम जुट गई और कुछ ही वर्षों में सामने आया एक अभियान 'महज 20 लाख डॉलर प्रतिवर्ष खर्च कर फिर 18 वर्षीय हो जाइए।' उन्होंने खान-पान, जीवन शैली, सब कुछ बदल लिया। अपने युवा बेटे से रक्त-प्लाज्मा लिया और फिर अपना रक्त प्लाज्मा अपने पिता को प्रदान किया। पिता अपनी उम्र में करीब 25 साल पीछे लौट गए, जबकि जॉनसन भी अपनी उम्र को पांच से 10 साल तक घटा चुके हैं। उनकी त्वचा उम्र की दौड़ में बीस साल पीछे जाकर चमक उठी है। कोई आश्चर्य नहीं, ब्रायन जॉनसन (जन्म 1977) आज सेहत के तमाम पैमानों पर दुनिया के सबसे सेहतमंद इंसान हैं। वह अपना ज्ञान सबसे साझा करते हैं। वह चाहते हैं कि दुनिया का हर इंसान अपने शरीर पर नियंत्रण बनाए और कम से कम डेढ़ सौ साल जिंदा रहे। उन्हें आज पूरी दुनिया जानती है।
पिछले दिनों वह कुछ देर के लिए भारत भी आए थे, तो सलाह दे गए कि भारत लंबी उम्र के लिए सबसे पहले अपनी हवा साफ करे।
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