द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। [Jesus Christ] आज की चर्चा में जानेंगे कि जीसस अपने साथी जैसे क्यों लगते हैं? जीसस क्राइस्ट के ज...
द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। [Jesus Christ] आज की चर्चा में जानेंगे कि जीसस अपने साथी जैसे क्यों लगते हैं?
जीसस क्राइस्ट के जन्म की सही तिथि को लेकर बाइबिल में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। इस पर ऐतिहासिक रूप से कई मतभेद रहे हैं। अधिकांश विद्वान मानते हैं कि ईसा मसीह गर्मी के मौसम में पैदा हुए थे, क्योंकि बाइबिल में लिखा है कि उनके जन्म के समय चरवाहे अपने झुंडों के साथ खुले मैदान में थे, जो आमतौर पर जाड़े के मौसम में संभव नहीं होता। जाड़े में चरवाहे अपने झुंडों को आश्रय में रखते थे।
ईसाई धर्म के आरंभिक समय में रोमन साम्राज्य में सैटर्नलिया और सोल इन्विक्टस जैसे पगान (मूर्तिपूजक) उत्सव मनाए जाते थे। ये उत्सव Winter Solstice के आसपास होते थे, जब दिन छोटे और रातें लंबी होती थीं। Winter Solstice के बाद दिन लंबा होना शुरू होता है, जिसे पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता था। ईसाई धर्म ने इन पगान परंपराओं को अपनाकर 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट का जन्मदिन घोषित कर दिया, ताकि लोग ईसाई धर्म में सहजता से शामिल हो सकें।
प्रारंभिक ईसाई नेताओं ने महसूस किया कि पगान परंपराओं को पूरी तरह समाप्त करना मुश्किल होगा। इसलिए उन्होंने इन्हें ईसाई धर्म के त्योहारों के रूप में ढाल दिया। इससे ईसाई धर्म को लोकप्रियता प्राप्त करने में मदद मिली। चौथी शताब्दी में रोमन सम्राट कॉन्सटेंटाइन के समय, 25 दिसंबर को आधिकारिक रूप से ईसा मसीह का जन्मदिन घोषित किया गया। यह निर्णय चर्च की ओर से लिया गया था और इसे व्यापक रूप से मान्यता दी गई।
जीसस क्राइस्ट को जगत का प्रकाश (Light of the World) कहा जाता है। Winter Solstice के बाद सूर्य का प्रकाश बढ़ने लगता है और इसे ईसा मसीह के आगमन के प्रतीक के रूप में देखा गया। इसलिए, ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत, सांस्कृतिक, धार्मिक और प्रतीकात्मक कारणों से क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है।
Jesus ने पुराने धर्म की बात नहीं मानी !
Jesus ने बचपन से ही बहुत आकर्षित किया है, Jesus एक यहूदी चरवाहे के घर पैदा हुए थे। भेड़ें चराते रहे और एक निर्दोष जीवन जिये। एक महिला को सजा देने के लिए पत्थर मारने वाली भीड़ से कहा पहला पत्थर वो मारे जिसने पाप ना किया हो। उस वक़्त ये कितने साहस की बात थी?
कोई तुम्हारे एक गाल पर तमाचा मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो, और कोई तुमसे तुम्हारी कमीज़ मांगे तो तुम उसे अपना कोट भी दे दो।
Jesus Justice |
साहूकारों पर जीसस कोड़े ले कर टूट पड़े थे !
जीसस ने कहा सूईं के छेद से ऊँट का निकलना संभव है, लेकिन एक भी अमीर का स्वर्ग में प्रवेश असम्भव है। मंदिर के परिसर में बैठ कर गरीबों को ब्याज़ पर पैसा देने वाले साहूकारों पर जीसस कोड़े ले कर टूट पड़े थे। ये था जीसस का न्याय (Jesus Justice).
साहूकारों को वहां से मार-मार कर भगा दिये, उनकी मेजें उलट दी थीं।
लेकिन बाद में ईसा के नाम पर बनाए गये ईसाई धर्म के चर्च के कथित पादरियों और राजाओं नें मिल कर गरीब किसानों का वैसा ही शोषण किया जैसा भारत में पुरोहितों और राजाओं के गठजोड़ ने किया है।
भला होने की सज़ा मिली थी !
उन्हें भला होने के लिए सज़ा दी गई। Jesus Christ को दो चोरों के साथ अपना सलीब खुद अपने कन्धों पर ढोने के लिए मजबूर किया गया था। काँटों की टहनी उनके सर के चारों तरफ पहना दी गई थी। अंत में Jesus को लकड़ी के सलीब पर कीलों से ठोक दिया गया। वह गरीब की तरह पैदा हुए, गरीब की तरह जिये, गरीबों के लिए जिये। और गरीब की तरह मारे गए।
गैलीलियो के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।
ईसाइयों ने कई सौ साल तक चलने वाले युद्ध लड़े, दुनिया को लूटने वाले और सारे संसार पर युद्ध थोपने वाले अमरीका और यूरोप के पूंजीवादी राष्ट्र खुद को Jesus का अनुयायी कहते हैं। यही संस्थागत धर्म की सबसे बड़ी त्रासदी है।
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