The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। [Triya Charitra] आज की चर्चा में हम जानेंगे कि त्रिया-चरित्र क्या है? और स्त्रियों के त्रिया-...
The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। [Triya Charitra] आज की चर्चा में हम जानेंगे कि त्रिया-चरित्र क्या है? और स्त्रियों के त्रिया-चरित्र से कैसे बचे है?
कहते हैं कि Bhagwan ने सबसे पहले दुनिया बनाई फिर वो कुछ दिन के लिए आराम से सो गया... उसके बाद समुद्र, नदी, पहाड़, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी बनाए उसके बाद वह फिर कुछ दिन के लिए आराम से सो गया... फिर एक दिन उसने पुरुष बनाया और फिर सुकून से कुछ दिन के लिए सो गया... लेकिन इतना कुछ बनाने के बाद भी उसे अपनी बनाई दुनिया में कुछ न कुछ कमी महसूस होती थी... फिर एक दिन उसने स्त्री बनाई... अब स्त्री न तो Bhagwan को सुकून से सोने देती है और न ही पुरुष को सुकून से जीने देती है।
स्त्री के Triya Charitra लिए संस्कृत में एक कहावत है —
तिरिया चरित्रं देवम् न जानम् !!
यानी देवता भी स्त्री के चरित्र को नहीं समझ सकते।
जब कोई स्त्री किसी परिस्थिति-विशेष में चतुराई या चालाकी दिखाते हुए या दूसरों को बेवकूफ़ मानते हुए कोई अभिनय, ढोंग या पाखण्ड करती है, तो इस तरह की स्थिति को भारतीय लोक में "तिरिया-चरित्तर" कहा जाता है।
स्त्रियां चरित्रम् पुरुषस्य भाग्यम् !!
यहाँ "स्त्रियां" शब्द संस्कृत के "स्त्री" शब्द की तृतीय विभक्ति है जिसका अर्थ होता है "स्त्री का चरित्र"।
यही "स्त्रिया चरित्रम्" बाद में अपभ्रंश हो कर "त्रिया-चरित्र" हो गया है। लेकिन फिर भी लोग इस वाक्यांश कोई उपरोक्त उक्ति के अर्थों मे ही प्रयोग करते हैं। इस उक्ति का पूरा अर्थ ये है। कि स्त्री का चरित्र, पुरुष का भाग्य स्वयं Bhagwan भी नहीं जानते, हम तो सिर्फ मनुष्य हैं। इसलिए पुरुष के चरित्र को त्रिया नहीं कह सकते।
पत्नियों का काला जादू चले तो पति को मक्खी बना के माचिस की डिब्बी में बंद कर लें। कलेष के नाम पर सिर्फ उनके पति का किसी और की तरफ आकर्षण ही नहीं, बल्कि इसके अलावा भी 84 लाख Reason होते हैं।
स्त्रियों को कितनी बात बतानी चाहिए?
स्त्रियों को बस उतनी ही बात बताई जानी चाहिए, जितनी उनके लिए ज़रूरी है और उनके मतलब की है।
बिल्कुल बंदरों की तरह, जो बस अपने कुनबे को ही सत्य समझता है। स्त्रियां कभी भी दूरगामी परिणाम नहीं सोचती। उन्हें सब कुछ तुरंत चाहिए होता है।
दूसरी बात स्त्रियां कभी भी किसी भी पुरानी बात पर मिट्टी नहीं डालती। कोई बात चाहें जितनी बरसों पुरानी क्यों न हो। वह उन वर्षों पुरानी बातों पर आज भी उतनी ही शिद्दत से लड़ सकती है जैसे वह आज की घटना है।
स्त्रियों को क्या अतीत की बात बतानी चाहिए?
नहीं, महिलाओं को अपने अतीत की बातें कभी भूल कर नहीं बतानी चाहिए। क्योंकि आपके अतीत की बातें उनके के लिए वह हथियार है जिससे वह आपको वर्तमान में किसी भी स्तर पर प्रताड़ित कर सकती हैं।
ऐसे ही भविष्य की योजनाएं भी यदि आवश्यक न हो तो नहीं बतानी चाहिए क्योंकि यदि किसी कारण वश वह योजना सफल नहीं हुई तो महिला आपका जीना दुश्वार कर सकती है।
वर्तमान समय में महिलाओं की एनर्जी कहीं भी नष्ट नहीं हो रही। न ढेर सारे बच्चे पैदा करने में, न उनको पालने में, न घर के कामों में। ऐसे में उनकी सारी ऊर्जा केवल और केवल त्रिया-चरित्र में उपयोग हो रही है।
आज के समय में जब काम करने के लिए इतने साधन उपलब्ध है, तो स्त्रियों को घर में बैठाने के बजाए बाहर काम करने दीजिए। जिससे उनकी सारी ऊर्जा जो त्रिया-चरित्र में लग रही है, वह चैनलाइज होकर किसी सही जगह व्यय हो। घर में चार पैसे भी आयेंगे और घर रोज-रोज होने वाले त्रिया-चरित्र से मुक्त भी रहेगा। आप भी बचे रहेंगे अन्यथा हर दिन उनके नए-नए Triya Charitra (अभिनय) देखने के लिए तैयार रहें।
स्त्रियां और समारोह
स्त्रियां जब भी किसी समारोह के लिए तैयार होती हैं तो वह वहां उपस्थित अन्य सभी स्त्रियों में सबसे आकर्षक, उत्तेजक और सबसे ज्यादा कामुक दिखना चाहती हैं। वह चाहती हैं हर पुरुष की नज़र उनके "कट & कर्व्स" पर ठिठक जाए। वहां मौजूद हर पुरुष उनके अनुपम सौन्दर्य को नज़र भर के देख कर तारीफ़ करें, लेकिन साथ ही वह यह भी चाहती हैं कि कोई भी पुरुष उन्हें कामुकता भरी निगाहों से न देखें।
कोई टिप्पणी नहीं
PLEASE NOTE:
We have Zero Tolerance to Spam. Cheesy Comments and Comments with 'Links' will be deleted immediately upon our review.