द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। [How much do you know about Israel?] आज की चर्चा का का विषय है, आप इज़राइल को कितना जानते हैं? द...
द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। [How much do you know about Israel?] आज की चर्चा का का विषय है, आप इज़राइल को कितना जानते हैं?
दक्षिण-पश्चिम एशिया में एक स्वतंत्र यहूदी देश है Israel | इज़राइल शब्द का इब्रानी भाषा में अर्थ होता है -
“ऐसा राष्ट्र जो ईश्वर को प्यारा हो”!
यह दक्षिण-पूर्व भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित है। उन्नीसवीं सदी के अंत में तथा फिर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में यूरोप में यहूदियों के ऊपर किए गए अत्याचार के कारण यूरोपीय (तथा अन्य) यहूदी अपने क्षेत्रों से भाग कर जेरूसलम और इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने लगे थे।
Israel कब बना?
पैलेस्टाइन से ब्रिटिश सत्ता के समाप्त होने पर 14 मई, 1948 ई॰ को आधुनिक इज़राइल राष्ट्र की स्थापना हुई थी। इस बात को आज 65 साल बीत गये। ‘जेरूसलम’ Israel की राजधानी है। उसके महत्वपूर्ण शहरों में ‘तेल अवीव’ का नाम आज प्रमुखता से लिया जाता है। यहाँ प्रमुख भाषा इब्रानी (हिब्रू) है, जो दाहिने से बाएँ लिखी जाती है, और यहाँ के निवासियों को ‘इज़रायली’ कहा जाता है।
इजराइल को जानिए!
क्या आप जानते हैं? Israel का कुल क्षेत्रफ़ल 20,700 वर्ग किलोमीटर है, जो कि इतना है कि तीन इजराइल मिलकर भी हमारे उत्तर प्रदेश जितने बड़े नहीं बन सकते।
क्या आप जानते हैं? Israel की कुल आबादी लगभग 74,11,500 है, और ये चारो तरफ से कट्टर इस्लामिक देशों जैसे उत्तर में लेबनान, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन, दक्षिण में अकाबा की खाड़ी व दक्षिण-पश्चिम में मिस्र से घिरा हुआ है।
आतंकवादियों के साथ मिलकर चार बार इस्लामिक फंडामेंटिलिस्ट देशों ने अकेले इजराइल पर हमला किया था। पहली बार 1948 में, फिर 1956 में, फिर 1967 में, फिर 1973 में।
इजराइल की सैन्य व विदेश नीति
अब ज़रा Israel की सैन्य और विदेश नीति भी जान लीजिये, इज़राइल कभी किसी देश पर पहले हमला नहीं करता। और किसी संघठन को यह नहीं कहता की हमारे देश में आंतकवादी घटनायें या हमला मत कीजिये। बल्कि इजराइल कहता है अगर किसी ने हमारे देश के एक नागरिक को मारा तो हम उस देश में घुसकर कर 100 लोगों को मार देंगे। हाल ही में फिलिस्तीन ने यह गलती की तो इजराइल ने फिलिस्तीन के 5 स्कूलों पर बमबारी कर दी। अगर आप इजराइल के दुश्मन हैं तो आपको इस दुनिया में कहीं भी जिन्दा रह पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। आपने Israel की ख़ुफ़िया एजेंसी "मोसाद" का नाम जरूर सुना होगा, वो आपको और आपके पूरे परिवार को हर पल-पल मरने के लिए मजबूर कर देगी और अंत में आपको और आपके परिवार को आपके के ही घर में बम से उड़ा दिया जायेगा।
दयालु भी है Israel
युद्ध में Israel का कोई मुकाबला नहीं है जैसा कि पहले बताया गया कि एक बार चार देश एक साथ मिलकर ये कोशिश कर चुके हैं लेकिन अन्ततः उन्हें मुँह की खानी ही पड़ी और बचा- विवादित क्षेत्र भी इजराइल ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया था। लेकिन भारत की तरह हर बार दया करके उनकी ज़मीन उन्हें वापस कर दी। क्या कोई इस्लामिक आतंकी गुट ऐसा करेगा? नहीं वह वहाँ के लोकल अवाम को कत्ल कर उनकी संस्कृति, उनके घर को नष्ट करना चाहेगा, लेकिन Israel ने कई मौके मिलने के बावजूद भी ऐसा नहीं किया।
Israel को मिटाने का मंसूबा
लेकिन आज हालात यह हैं कि दुनिया भर के इस्लामी फंडामेंटलिस्ट Israel को इस धरती से मिटाना चाहते हैं। अमीर अरब शेख और इस्लामिक देश इज़राइल के खिलाफ बयान पर बयान देते हैं और इजराइल को मिटाने के लिये हर संभव कोशिश कर रहे हैं। एक बेहद घटिया और खौफनाक बयान तो ईरान के अहमेदिज़ेनाद ने यह दिया कि जिस दिन उसके पास परमाणु बम आ जायेगा वह Israel को इस धरती पर से मिटा देगा !
तो आज हालात यह है कि Israel के विरोध का विष इन इस्लामिस्टों ने पूरे विश्व में फैला रखा है और क्योंकि यह पैसा और संख्या दोनों में ही ज्यादा हैं इसलिये इनका जहर धीरे-धीरे समझदार लोगों को भी निगलता जा रहा है।
इसलिये आश्चर्य नहीं होना चाहिये अगर Israel का सब्र अब चुक न जाये। यह याद रखना चाहिये की इज़राइल के पास उन्नत और एटामिक हथियार भी हैं और इजराइल ने यह भी कहा है कि किसी एटमी हमले की सूरत में वह पूरे आतंकवाद पोषित देशों को समूल नष्ट कर देगा। इसलिये जिन कातिलों के मंसूबे इज़राइल को नष्ट करने के हैं उन्हें याद रखना चाहिये कि वह कोई कमज़ोर देश नहीं है जो इनके अत्याचार को सह ले। Israel का तमाचा जब गाल पर पड़ता है तो गाल लाल हो जाता है और वर्षों सहलाना पड़ता है।
अब इस्लामिक आतंकवादियों के दिन लद चुके हैं। इराक तबाह हो गया, अफगानिस्तान भी, और पाकिस्तान भी तबाह हो रहा है। ईरान के दिन भी जल्द ही आने वाले हैं। जो भी देश विश्व में अशांति फैलायेगा उसे नष्ट होना ही पड़ेगा। यही आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति का संदेश होगा।
यहूदियों को समझिए
4000 साल से यहूदी स्वयं को "खुदा द्वारा चुनी हुई नस्ल" मानते हैं। ये चुने लोग कभी "भीड़" की शक्ल में नहीं होते हैं। इसीलिए यहूदियों ने अपने धर्म को बाहरी लोगों के लिए बंद कर रखा है, क्योंकि उनका धर्म ही उनकी "नस्ल" है। आप सिर्फ़ जन्म से यहूदी हो सकते हैं, यहूदी धर्म कभी भीड़ का धर्म नहीं रहा और इन्होंने अपनी "सोच दूषित" नहीं की।
स्वयं को चुना हुआ या सौभाग्यपूर्ण मानना वैसे ही है जैसे शाहरुख खान स्वयं को "Best" कहते हैं। वो हमेशा कहते हैं कि वो फिल्म इंडस्ट्री पर राज करने के लिए पैदा हुए थे और उन्होंने ये कर के दिखाया भी है।
आपको ये घमंड लगे, बेवकूफी लगे या कुछ भी लगे.. मगर ऐसा है!
यहूदियों के भीतर ये आत्मविश्वास कहां से आया, ये बताना तो संभव नहीं है मगर स्वयं को सौभाग्यपूर्ण और उन्नत नस्ल बताने का ये दावा उनका कभी "झूठा" साबित नहीं हुआ है।
200 से अधिक विज्ञान का नोबेल जीतने वाली ये मुट्ठी भर लोगों की कौम उन्नत सोच और बेहतर नस्ल का दावा ऐसे ही नहीं करती है।
गूगल से लेकर फेसबुक बनाने वाले यहूदी अगर आज न होते तो शायद दुनिया वैसी न होती जैसी आज है। यहूदी वैज्ञानिक आइंस्टीन की वजह से ही आज के एटम बम से लेकर रॉकेट और सुदूर अंतरिक्ष का सफर हमारे लिए संभव हो पाया है।
इसलिए जो कौम आपको इतनी ऊंचाई तक पहुंचा सकती है वो हिंसक क्रूर और बेवकूफ़ नस्लों को काबू में करने का हुनर भी जानती है।
आतंकवाद से दुनिया अभी तक जिस तरह से निपट रही थी वो नाकाफ़ी था। इसलिए प्रकृति किसी न किसी को खड़ा ही करेगी जो अगुवाई करेगा और तमाम नस्लों को आजादी दिलाएगा। आपको और हमको सऊदी और ईरान समेत जैसे देश "इंसानों" के रहने लायक़ देश लगें मगर दरअसल ये हैं नहीं।
खुमैनी जैसा एक सनकी बूढ़ा करोड़ों औरतों पर राज करके उन्हें हिजाब पहनने पर मजबूर करता है और जो आवाज उठाए उसे जेल में ठूंस देता है। सिर्फ़ इसलिए क्योंकि औरतें सिर पर एक कपड़ा नहीं लपेट रखा हैं जो इस सनकी बूढ़े के हिसाब से खुदा का फरमान है।
दुनिया की दूसरी जगहों पर रहने वाला कोई भी इंसान, यहां तक कि रिफ्यूजी भी सऊदी अरब में बसना नहीं चाहता हैं क्योंकि वो देश नहीं जेल है इंसानों के लिए।
एक पूरी नस्ल जो सदियों से वहां पैदा होती जा रही है, "आज़ाद" होने का अर्थ ही नहीं जानती।
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तो इस मानसिकता को आज नहीं तो कल ख़त्म ही होना होगा। यहूदियों से बेहतर इस से और कोई नहीं लड़ पाएगा। हमास जो कर रहा है वो भी ज़रूरी है क्योंकि वो ये अगर नहीं करेगा तो सारी दुनिया ऐसे ही सोती रहेगी और ये "नासूर" समूची पृथ्वी को निगल लेगा। हमास यहूदियों और बाकी लोगों को भड़काए, ये ज़रूरी है.. क्योंकि अब "फाइनल काउंटडाउन" का समय है।
प्रकृति ने एक मुट्ठी बराबर देश को ऐसे नहीं "बेलगाम" नस्लों के पास जगह दी है.. प्रकृति के नियम बड़े "क्रूर" होते हैं।
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