[ Time Travel] द भ्रमजाल पर आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या वास्तव में अतीत और भविष्य की समय यात्रा संभव है? समय यात्रा का उल्लेख पहली ...
[Time Travel] द भ्रमजाल पर आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या वास्तव में अतीत और भविष्य की समय यात्रा संभव है?
समय यात्रा का उल्लेख पहली बार 1895 में प्रकाशित एक उपन्यास [Novel]- The Time Machine में किया गया था, उसे Science Fiction के जाने माने लेखक H.G. Wells ने लिखा था।
Albert Einstein ने अपने सापेक्षता के सिद्धांत के ज़रिए Time और Space के बीच के संबंध को समझाया है। उनके अनुसार, समय सभी के लिए एक जैसा नहीं होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि समय यात्रा मुमकिन है, किन्तु, सिर्फ़ प्रकाश की गति से या उससे तेज़ यात्रा करके ही यह संभव हो सकता है।
क्या अतीत समय यात्रा संभव है?
समय क्या है? क्या कणों की स्थिति में बदलाव ही समय है? या समय सिर्फ मानव निर्मित भ्रम है? यह बात हम में से किसी को अब तक नहीं मालूम।
हमें सिर्फ इतना मालूम है कि मैथमेटिकली समय को एक भौतिक आयाम माना जा सकता है। फिलहाल विज्ञान व गणित का कोई ऐसा नियम नहीं है– जो समय में अतीत की यात्रा करने से रोकता हो। सैद्धांतिक तौर पर समय यात्रा पूरी तरह संभव है।
आपकी वर्ल्डलाइन अतीत में जा कर खुद से भी मिल सकती है, बशर्ते– आपके पास पर्याप्त मात्रा में नेगेटिव एनर्जी हो, और यह ब्रह्माण्ड ज्योमेट्रिकली एक “क्लोज्ड सिस्टम” हो– क्लोज्ड यानी किसी गेंद के समान, न कि फ्लैट कपड़े के समान।
(समय यात्रा का कोई भी मॉडल इन दो अहर्ताओं को पूरा किये बिना कामयाब नहीं हो सकता।)
पर क्या हो, अगर आप भूतकाल में जा कर अपने माता-पिता को ही मिलने से रोक दें? जब आपके माता-पिता भूतकाल में मिले ही नहीं, तो आपका जन्म कैसे हुआ?
जब आप जन्में ही नहीं, तो भूतकाल में जा कर आपके माता-पिता को मिलने से रोकने वाला बंदा कौन था?
समय यात्रा से पैदा होने वाले इस तरह के तमाम विरोधाभास हैं, जिनके कारण वैज्ञानिकों को लगता है कि कोई न कोई चीज ऐसी जरूर होगी, जिसके कारण समय यात्रा कभी संभव नहीं हो सकेगी– ऐसी चीज, जिसके बारे में अभी हमें नहीं पता।
मैं भी उन लोगों में से हूँ, जिन्हें लगता है कि समय यात्रा कभी संभव नहीं होगी। मेरा ऐसा मानने का कारण– जब आप दर्पण में देख अपना दायाँ हाथ उठाते हैं, तो आप प्रतिबिम्ब अपना बायाँ हाथ उठाते हैं। अर्थात, जो आपका “दायाँ” है, वह आपके प्रतिरूप के लिए “बायाँ” है। इस “Handedness” को पैरिटी कहते हैं।
Parity Conservation के नियम के कारण एक मूलभूत कण की Quantum Properties वर्तमान और भूतकाल में एक-दूसरे से उलट, यानी “Mirror Image” में होती हैं। मिसाल के तौर पर, अगर आप एक Electron हैं और किसी तरह अपने भूतकाल को देख पायें तो पायेंगे कि आपके भूतकाल के कण की स्पिन तथा इलेक्ट्रिक चार्ज आपसे ठीक उल्टा है। अर्थात– आपकी स्पिन “UP” है, तो उसकी Down, आपका चार्ज Positive है तो उसका Negative।
जिस कण का चार्ज-स्पिन आपसे उल्टा हो, उसे तकनीकी तौर पर “Anti-Matter” कहते हैं।
यानी मैं यहाँ यह कह रहा हूँ कि आपका भूतकाल तकनीकी तौर पर आपके लिए Anti-Matter है। और जब Matter और Anti-Matter मिलते हैं, तो दोनों नष्ट हो कर विशुद्ध ऊर्जा में बदल जाते हैं। शायद समय यात्रा को रोकने की यही प्राकृतिक व्यवस्था हो, जो समय यात्रा को कभी संभव नहीं होने देगी। वैसे यह शिगूफा पूरी तरह से मेरा खुद का ख्याली पुलाव है– जो जरूरी नहीं कि सही ही हो।
बहरहाल, अगर मैं गलत हूँ, विश्व के तमाम विज्ञानवादी गलत हैं तो भूतकाल में समय यात्रा वाकई संभव है तो सिर्फ "समानांतर ब्रह्मांडों की अवधारणा" यानी Parallel Universe ही समय यात्रा के विरोधाभासों को खत्म कर सकता है।
Parallel Universe अर्थात- वास्तविकता की कई शाखाओं की एक साथ एक समय पर मौजूदगी। इस स्थिति में जब भी आप पूर्वकाल में जा कर किसी घटना को बदलते हैं तो वास्तव में आप एक ऐसे नए ब्रह्मांड को जन्म दे देंगे, जो ओरिजनल ब्रह्मांड के साथ-साथ अस्तित्व में बना रहेगा। The Quantum World की कुछ प्रॉपर्टीज हैं, जो इस तरह के Parallel Universe की अनुमति देती हैं, पर फिलहाल इसे प्रायोगिक तौर पर साबित नहीं किया जा सकता।
समय यात्रा और जैविक घड़ी
आपने कभी अनुभव किया होगा की जब आप हड़बड़ी में कहीं जाने की कोशिश करतें हैं तो समय बहुत धीमा बीतता प्रतीत होता है।
एक घटना की कल्पना करें- एक खबर आती है कि किसी करीबी का एक्सीडेंट हो गया है। या फिर कहीं परीक्षा देने के लिए लेट हो रहे हैं। तब आप वाहन निकाल कर उस गंतव्य तक जल्द से जल्द पहुंचने की कोशिश करतें हैं।
इस घटना के वक़्त आपका दिमाग आपसे खेलने लगता है। और जल्द से जल्द गंतव्य तक पहुंचने का विचार दिमाग को शरीर के साथ खड़ा करके कुछ वक़्त के लिए शरीर की घड़ी की गति को तेज कर देता है। यानि बाकी दुनिया में जो समय चल रहा है वो आपके लिए धीमा हो जाता है।
इस हड़बड़ी में वाहन से रोड पर आयें तो लगता है कि ट्रैफिक इतना धीरे-धीरे क्यों चल रहा है। सिर्फ एक मिनट की रेड लाइट का समय दस मिनट का प्रतीत होने लगेगा। और जब हरी बत्ती होगी तो लगेगा कि ये सब लोग अपनी कार और बाइक इतना धीरे धीरे क्यों आगे बढ़ा रहें हैं।
रिसेप्शन पर जाएंगे- अगर वहां कोई आदमी पूछताछ कर रहा होगा, तो फ्रस्टेट होंगे, मन में ये विचार उत्पन्न होगा कि इतनी छोटी सी बात पूछने में ये इतना देर क्यों लगा रहा है। उस पर आपको गुस्सा आने लगेगा। जबकि वह बेचारा अपनी पूछताछ के लिए नार्मल समय ही ले होगा।
इसी अनुभव को हम समय विस्तार कह सकते हैं।
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