The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या कोई और समानांतर ब्रह्मांड हो सकता है? क्या एक ब्रह्मांड ऐस...
The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या कोई और समानांतर ब्रह्मांड हो सकता है?
क्या एक ब्रह्मांड ऐसा है जहां सब कुछ उल्टा है?
उत्सुकता, दुनिया में अब तक जितनी भी खोज़ हुई उन सब की जननी है। आज के वैज्ञानिक इस बात की संभावना से इनकार नहीं करते हैं कि इस दुनिया की तरह एक ऐसी भी दुनिया है, जहां भौतिकी के नियम बिल्कुल अलग हैं और वहां समय उल्टा चलता है। कई दशकों से धरती और ब्रह्मांड के बारे में खोज जारी है। इस बीच वैज्ञानिकों को इस दुनिया के बारे में तो बहुत कुछ पता है, लेकिन अब उन्हें धीरे-धीरे एक ऐसी दुनिया पर भी यकीन हो चला है, जो हमारी दुनिया से Anti-Verse है।
समानांतर ब्रह्मांड अब सिर्फ़ sci-fi story नहीं हैं। बल्कि कई वैज्ञानिक सिद्धांत ऐसे हैं जो ब्रह्मांड से परे समानांतर ब्रह्मांड के विचार का समर्थन करते हैं। हालाँकि, आज भी Parallel Universe का सिद्धांत विज्ञान में सबसे विवादास्पद सिद्धांतों में से एक बना हुआ है। AOP (Annals of Physics) Journal में इस सिद्धांत की विस्तार से व्याख्या की गई है।
यह उस सामान्य भौतिकी की अवधारणा पर आधारित है, जिसे ‘CPT’ कहा जाता है। यह दुनिया हमारी पृथ्वी के पास हो सकती है। Recent Research के अनुसार, यह दुनिया भौतिकी के नियमों में हमारी दुनिया से बिल्कुल उलट होगी है। हम समय की गणना जिस तरह करते हैं, वहां वक्त इससे विपरीत चलता होगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि Parallel Universe की परिकल्पना फंडामेंटल सीमेट्रीज (Fundamental Cemeteries) पर निर्भर है। इस परिकल्पना पर काम करते हुए Dark Matter की व्याख्या की जा सकती है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस दुनिया में Neutron दायीं तरफ घूमते होंगे।
इस दुनिया को साबित करने के लिए वैज्ञानिक अभी मास Neutron का परीक्षण कर रहे हैं। वे अगर इस प्रोजेक्ट में कामयाब होते हैं, तो Anti Universe की बात पुख्ता सुबूत के तौर पर आपके सामने होगी।
इस परिकल्पना की सबसे अहम बात यह है कि हमारी दुनिया की तरह इस Anti Universe में गुरुत्वाकर्षण शक्ति नहीं पाई गई, इसी वजह से वहां सब कुछ रिवर्स यानी Anti-Verse में चल रहा है।
सैद्धांतिक रूप से तथा प्रायोगिक रूप से यह प्रमाणित हो चुका है कि प्रति-पदार्थ का अस्तित्व है। अब यह प्रश्न उठता है कि क्या Anti Universe का अस्तित्व संभव है? हम जानते हैं, किसी भी आवेश वाले मूलभूत कण का एक प्रतिकण होता है, लेकिन अनावेशित कण जैसे फोटान (प्रकाश कण), ग्रैवीटान (गुरुत्व बल धारक कण) का प्रतिकण क्या होगा? कण व प्रतिकण मिलकर ऊर्जा बनाते हैं। Photon और Graviton जैसे कण बलवाहक होते हैं, इस कारण से वे स्वयं के प्रतिकण हो सकते हैं। Graviton कण स्वयं का प्रतिकण है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण व प्रति-गुरुत्वाकर्षण एक ही है।
1966 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए वैज्ञानिक रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन ने इन ब्रह्मांडों से संबंधित एक मनोरंजक प्रश्न पूछा था। मान लीजिए कि, हमने किसी दिन इन दूरस्थ ग्रह के Aliens से रेडियो संपर्क स्थापित कर लिया है, लेकिन हम उन्हें देख नहीं सकते। हम नहीं जानते कि वे पदार्थ से निर्मित हैं या प्रति-पदार्थ से, तब क्या हम इन Aliens को बाएं तथा दाएं के बीच का अंतर समझा सकते हैं? आप कोशिश करके देख लीजिए।
यदि भौतिकी के नियम Anti Universe के लिए समान रहते हैं, तब यह असंभव है। रिचर्ड के अनुसार, कुछ तथ्यों को समझाना आसान होता है, हम Aliens को रसायनशास्त्र और जीवशास्त्र के नियम समझा सकते हैं, पर यदि हम बाएं या दाएं के सिद्धांत को समझाने का प्रयास करेंगे, तो हम विफल हो जाएंगे। हम उन्हें यह कभी नहीं समझा पाएंगे कि हमारा हृदय शरीर के बाएं भाग में है, या यह पृथ्वी किस दिशा में घूम रही है या DNA Sequence किस दिशा में घूमे हुए हैं।
सन् 1956 में दो अमेरिकी वैज्ञानिकों, सुंग दाओ ली व चेन निंग यांग ने प्रस्तावित किया था कि कमजोर नाभिकीय बल Symmetry को नहीं मानता। यह भी पाया गया कि कमजोर नाभिकीय बल नियमों का भी पालन नहीं करता है। एक वैज्ञानिक ने तो यहां तक कहा था कि ‘ईश्वर ने जरूर गलती की है!’ यांग और ली को इस खोज के लिए 1957 में भौतिकी का नोबेल मिला था। ध्यान रहे, न्यूटन और आइंस्टीन के समीकरणों के अनुसार भी सैद्धांतिक रूप से समानांतर ब्रह्मांड (Parallel Universe) हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा अभी बहुत कुछ है, जिसका पता लगना अभी बाकी है।
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