द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की हमारी चर्चा ' कुरान का मनोविज्ञान' पर केंद्रित है! जिसे आसमानी किताब भी कहा जाता है...
द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की हमारी चर्चा 'कुरान का मनोविज्ञान' पर केंद्रित है! जिसे आसमानी किताब भी कहा जाता है।
लगभग सभी धर्मों के पास उनकी अपनी Aasmani Kitab हैं। और उन तमाम धर्मों का दावा है की उनकी Kitabein को सीधे आसमान से धरती पर उतारा गया हैं। Islam भी ऐसा धर्म है जो दावा करता है कि उनकी Quran Sharif आसमान से टपकी है।
सभी धर्मों के Andh Bhakt इस बात पर विश्वास भी करते हैं।
क्योंकि उनके पास इतना समय नहीं कि वे खुद उन Aasmani Kitabon की जमीनी हकीकत को परखें और जानें। इसलिए धार्मिक गिरोहों का युगों पुराना Propaganda अनवरत जारी रहता है Bhakton की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है Bhakti के चक्कर में वे सवाल करने की अपनी काबिलियत खो देते हैं।
फलस्वरूप उन्हें मूढ़ बनाये रखने वाला गिरोह अपने मंसूबों में हमेशा कामयाबी की ओर आगे बढ़ता रहता हैं।
कुरान को Aasmani Kitab साबित करने की फिजूल कसरत करने वाले दो तरह के वर्ग हैं। पहले वर्ग में जाकिर नाइक जैसे लोग हैं जो कुतर्कों के सहारे Quran की आयतों को अल्लाह का कलाम साबित करने की तिकड़म करते हैं, दूसरे वो पढ़े-लिखे जाहिल टाइप लोग हैं जो जाकिर नाइक जैसों की भ्रामक बातों की चपेट में आ कर उसकी बात मान लेते हैं।
वास्तव में जब Quran का वैज्ञानिक विश्लेषण करिए तब पता चलता हैं कि यह आसमानी तो क्या जमीनी किताब कहलाने के लायक भी नहीं है।
Quran | Falsification of Zakir Naik
कुरान शरीफ के बारे में Zakir Naik जैसे फर्जी लोगों ने सिर्फ Falsification किया है। उससे पढ़े-लिखे टाइप के बुद्धिहीन लोगों पर गज़ब का असर हुआ। वे बिना तथ्यों की जांच किये मान गये की सच में The Qur'an - Holy Book of Islam है।
यहां Qur'an के हवाले से ही यह बताने का प्रयास किया गया है कि Zakir Naik एक फर्जी व्यक्ति था। साथ ही उसका Allah भी फर्जी है। इन सब ने मिलकर Quran Sharif के नाम पर सिर्फ Falsification किया और लोगों को मूर्ख बनाया है।
सबसे पहले हम बात करेंगे उस Ayat - Al Quran (Quran verses) की जिस में अल्लाह Quran Sharif को Aasmani Kitab साबित करने के लिए पूरी Manavta को Challenge करता है।
अब मान लीजिये कोई व्यक्ति यह दावा करे कि उसने एक हाथी देखा है। तो इसे साबित करने के लिए उस व्यक्ति को किसी प्रमाण की जरूरत नही पड़ेगी। क्योंकि, यह बेहद साधारण सी बात है।
परन्तु कोई यह कहे कि उसने हाथी के बराबर का चूहा देखा है। तब उसे अपनी बात Prove करने के लिए Logic की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि दावा जितना बड़ा होगा उसे साबित करने के लिए Saboot भी उतना ही बड़ा देना होगा।
बस इसी तरह Hazrat Sahab ने भी एक दावा किया था कि Quran Sharif पूरी कायनात को बनाने वाले Allah ने भेजी है। अब दावा तो अच्छा खासा बड़ा था। तो Hazrat Sahab को अपने इस दावे को साबित करने के लिए Argument भी बड़ा करना चाहिए था। लेकिन उन्होंने खुद सबूत पेश करने की बजाय Quran Sharif के Allah का ही सहारा लिया।
Hazrat Sahab का यह दिमागी Allah उनसे भी बड़ा Jumlebaaz निकला अपनी Kitab को Aasmani साबित करने के लिए अल्लाह ने ऐसे गज़ब के जुमले फेंके कि आज के बड़े-बड़े Jumlebaaz भी इन जुमलों के नीचे दब कर मर जाएं। आगे जानिए की कैसे?
Controversial verse of quran in hindi
क्या ये लोग कहते हैं कि इसको रसूल ने खुद झूठ-मूठ बना लिया है (ऐ रसूल) तुम कहो कि (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (भला) एक ही सूरा उसके बराबर का बना लाओ और ख़ुदा के सिवा जिसको तुम्हें (मदद के वास्ते) बुलाते बन पड़े बुला लो!
कुरान शरीफ - सूरह युनुस आयत - 38 | Surah Yunus 10:38
हाथी के बराबर का चूहा देखने वाले से सबूत मांगा तो उसने कहा की यदि मेरी बातों पर तुम्हे शक हो तो जाओ मैंने अब तक जो भी बका है उस जैसी दो चार लाइनें ही बक कर दिखाओ।
यह गजब की जुमलेबाजी है अरे भाई आप Allah हो और आप ही कहते हो कि
"हमने ही आकाशों और धरती जैसी अनोखी चीज को पैदा की है इसलिए जब हम किसी काम का निर्णय करते है, तो उसके लिए बस कह देते है कि "हो जा" और वह हो जाता है!
अल-बक़रा Surah Al-Baqarah [2:117]
बस इतना सा सबूत ही तो मांगा गया था। कि "यह आपकी ओर से है या नहीं?" लेकिन आपने तो पूरी Astronomy ही समझा दी। आपको यहां यह कहने की बजाए कि "जाओ इस जैसी कुछ सूरह ही बना लाओ"! आपको यह कहना था "हो जा" और कुछ ऐसा हो जाता की लोगों की जिज्ञासाएं शांत हो जाती।
लेकिन आप ने क्या कहा -
"क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने आकाशों और धरती को सोद्देश्य पैदा किया? यदि वह चाहे तो तुम सबको ले जाए और एक नया जनसमूह ले आए"!
इब्राहिम (Ibrahim):19
आकाश और धरती को पैदा करते समय ये लोग वहां थे, जो आपकी ऐसी कलाकारी देखते। गज़ब का जुमला मारा है अल्लाह ने। अरे चाचा लोगों को सबूत चाहिए और आप उन्हें डराए जा रहे हैं।
"यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं"।
अल-हिज्र (Al-Hijr) :9
वो ठीक है लेकिन सुबूत कहाँ है? कि यह आपकी ओर से है?
तुमसे पहले कितने ही विगत गिरोंहों में हम रसूल भेज चुके है!
अल-हिज्र (Al-Hijr):10
कोई भी रसूल उनके पास ऐसा नहीं आया, जिसका उन्होंने मजाक न उड़ाया हो
अल-हिज्र (Al-Hijr):11
जब आपको पता था की आपके रसूलों का मजाक उड़ाया जाएगा तो आप उन्हें फिजूल में क्यों भेजते रहे?
इसी तरह हम गुनहगारों के दिलों में इसे उतारते है!
अल-हिज्र (Al-Hijr):12
यह भी अजीब जबरदस्ती है साहब जब गुनहगार आपसे सुबूत मांग रहे हैं तो आप जबरदस्ती पर उतर आये इस तरह वे कैसे मानेंगे?
वे इसे मानेंगे नहीं पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं
अल-हिज्र (Al-Hijr):13
यदि हम उन पर आकाश से कोई द्वार खोल दें और वे दिन-दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगें,
अल-हिज्र (Al-Hijr):14
फिर भी वे नही मानेंगे।
अल-हिज्र (Al-Hijr):15
अरे साहब ऐसा तो किसी ने नहीं कहा और आपने तो अब तक ऐसा कोई सुबूत दिया ही नहीं है। आप आसमान में द्वार मत खोलिए बस आसमान से एक मामूली सा फरिश्ता ही उतार दीजिये लोग यही तो मांग रहे हैं।
यदि तुम सच्चे हो तो हमारे सामने फ़रिश्तों को क्यों नहीं ले आते?
अल-हिज्र (Al-Hijr) :7
इस में क्या गलत है? उतारिये फरिश्तों की फौज और दिखा दीजिये।
लेकिन यहाँ फिर एक जुमला
फ़रिश्तों को हम केवल सत्य के प्रयोजन हेतु उतारते है!
अल-हिज्र (Al-Hijr):8
तो यहां क्या झूठ का प्रयोजन चल रहा है? लोग सच के प्रयोजन के लिए ही तो आप से फरिश्ते उतारने की बात कर रहे हैं न !! अब फरिश्ते कम पड़ गये क्या?
कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक निश्चित मात्रा के साथ उतारते है!
अल-हिज्र (Al-Hijr):21
चाचा, आपसे एक अदद फरिश्ता तो उतारा नही गया। बस जुमलेबाजी ही करते जा रहे हैं, इसीलिए तो लोग आपके इस जुमलेबाजी का इनकार कर रहे हैं।
जिन्होंने इनकार किया, क्या उन्होंने देखा नहीं कि ये आकाश और धरती बन्द थे फिर हमने उन्हें खोल दिया।
अल-अंबिया (Al-'Anbya'):30
आकाश और धरती डिब्बे में बन्द थे जिसे आपने खोल दिया और जब आपने ऐसा किया तब क्या इन्कार करने वाले वहां मौजूद थे जो वो आपका यह जादू देख पाते?
चाचा मानें कैसे? सुबूत तो दीजिये पहले।
क्या उन्होंने पक्षियों को आकाश में उड़ते नहीं देखा? उन्हें तो बस अल्लाह ही थामें हुए होता है निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए कितनी ही निशानियाँ है जो ईमान लाएँ!
अन-नह्ल (An-Nahl):79
भक्त लोगों के लिए तो ठीक है लेकिन जो भक्त नही हैं, उन्हें तो आकाश में उड़ते पक्षियों में Nature की निशानी मिलती है यहां आपका क्या रोल है? इसी बात का तो सुबूत मांगा जा रहा है आपसे।
सातों आकाश और धरती और जो कोई भी उनमें है सब उसकी महिमागान करते है और ऐसी कोई चीज़ नहीं जो उसका गुणगान न करती हो किन्तु तुम उनके महिमागान को समझते नहीं हो।
अल-इस्र (Al-'Isra'):44
Nature में कहीं कोई किसी का महिमागान (Glorification) नहीं करता। सिवा आपके भक्तों के अगर हम भी आपकी स्तुति करें तो इसके लिए हमें Seven Heavens की गप्पबाजी छोड़ कर सुबूत दीजिये।
क्या तुम इससे निश्चिन्त हो कि वह कभी थल की ओर ले जाकर तुम्हें धँसा दे या तुम पर पथराव करने वाली आँधी भेज दे, फिर अपना कोई रहनुमा न पाओ?
अल-इस्र (Al-'Isra'):68
एक बार फिर से प्रमाण देने की बजाए धमकी और डरा दिया जा रहा है।
जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगे और तुम धरती को बिलकुल नग्न देखोगे, हम उन्हें इकट्ठा करेंगे तो उनमें से किसी एक को भी न छोड़ेंगे!
अल-कहफ़ (Al-Kahf):47
पहाड़ों को चला कर ही दिखा दिया होता लेकिन यहां भी अल्लाह ने सिवा जुमलेबाजी के ऐसा कुछ नही किया।
जुमलेबाजी पर यकीन नही करने वाले लोगों को बस दलील की जरूरत है जिससे उन्हें यकीन हो जाए इस में वो कहाँ गलत हो गये?
हम किसी रसूल पर विश्वास नही करेंगे, जब तक कि वह हमारे सामने कोई ठोस दलील न पेश।
3 अल-ए-इमरान ('Ali `Imran):183
यहां लोगों ने क्या गलत कहा सिर्फ सबूत ही तो मांग रहे हैं न लेकिन हर बार उन्हें जुमलेबाजी के सिवा कुछ नहीं मिला।
तुम्हारे पास मुझसे पहले कितने ही रसूल खुली निशानियाँ लेकर आ चुके है, और वे वह चीज़ भी लाए थे जिसके लिए तुम कह रहे हो फिर यदि तुम सच्चे हो तो तुमने उन्हें क़त्ल क्यों किया?
अरे चाचा आप लोगों को समझाने के लिए इतने कमजोर और कामचोर रसूलों को भेजते ही क्यों थे कि साधारण लोग ही उन्हें कत्ल कर देते थे। यह तो आपकी नाकामी हुई न? और आपकी इसी जुमलेबाजी की वजह से ही तो लोग उन्हें कत्ल करते थे क्योंकि आपके रसूलों के दावे बड़े-बड़े होते थे लेकिन उन दावों को साबित करने के लिए सुबूत के नाम पर उनके पास जुमलेबाजी के सिवा और कुछ नही होता था। लोगों की आपसे बस इतनी ही मांग तो है कि आप आसमान से Farishta नही उतार सकते तो कम से कम उनके लिए किताब ही उतार दीजिये।
लोग माँग करते है कि तुम उनपर आकाश से कोई किताब उतार लाओ, तो वे तो मूसा से इससे भी बड़ी माँग कर चुके है। उन्होंने कहा था, "हमें अल्लाह को प्रत्यक्ष दिखा दो," तो उनके इस अपराध पर बिजली की कड़क ने उन्हें आ दबोचा।
4 अन-निसा (An-Nisa'):153
अल्लाह खुद ही बड़े बड़े दावे और बड़ी-बड़ी धमकियां दे रहा है ताकि लोग इस गप्पबाजी पर यकीन कर लें कि वही इस कायनात को बनाने वाला अल्लाह है लेकिन अभी तक वह गप्पबाजी के अलावा कोई भी ऐसा ठोस सबूत देने में नाकामयाब है जिससे लोग उसे सच मान लें जुमलेबाज लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है की वह वर्तमान की समस्यायों का जवाब देने की बजाए लोगों को इतिहास में ले जाते हैं। यहां Allah भी यही कर रहा है लोगों को आसमान से किताब उतार कर दिखा देता बात ही खत्म हो जाती लेकिन वह मुद्दे को मूसा के खेतों में ले गया।
क्या तुमने देखा नहीं कि धरती में जो कुछ भी है उसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए वशीभूत कर रखा है और नौका को भी कि उसके आदेश से दरिया में चलती है, और उसने आकाश को धरती पर गिरने से रोक रखा है उसकी अनुज्ञा हो तो बात दूसरी है। निस्संदेह अल्लाह लोगों के हक़ में बड़ा करुणाशील, दयावान है।
अल-हज़ (Al-Haj) :65
यहां अल्लाह अपनी शेखी बघारते हुए इतना आगे चला गया कि Astronomy को समझने वाले लोग गश खाकर गिर जाएं। अरे चाचा आसमान आपकी शादी का शामियाना नहीं है जिसे आपने जमीन पर गिरने से रोक रखा है। इस बात से न तो तुम करुणाशील साबित होते हो और न ही दयावान, हां अव्वल दर्जे के जुमलेबाज जरूर साबित होते हो।
Quran Sharif का 90 प्रतिशत हिस्सा बस यही है जिसमें Allah न मानने वालों को इस तरह की तमाम जुमलेबाजी के जरिये गुमराह करने की कोशिश करता है।
Is The Quran Sharif Really A Book Of God?
आश्चर्यजनक बात यह है कि आज Science के इस दौर में भी पढ़े-लिखे भक्त इन बातों को सच मानते हैं। इक्कीसवीं सदी में जीने वाले ये वो भक्त हैं, जो 7वीं सदी के उन अरबी लोगों से भी कम बुद्धि रखते हैं। जो Quran Sharif में Allah को सीधे-सीधे चैलेंज कर रहे हैं।
कुरान का लेखक कौन है?
विभिन्न इस्लामिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ज़ायद इब्न थबीत (Zayd ibn Thabit) (610 से 660 ई॰) मुहम्मद के द्वारा पढ़ी गई आयतों और सूरों को एकत्रित करते थे। ज़ायद को मुहम्मद ने हिब्रू और कॉप्टिक भाषा सीखने के लिए कहा, लगभग 2 सप्ताह में उन्होंने इन दोनों भाषाओं में महारत हासिल कर लिया था, जिन्हें वह मुहम्मद के दुभाषिया के रूप में इस्तेमाल करते थे।
सन 632 ई॰ में मुहम्मद की मृत्यु के बाद, उन्हें गैर-मुसलमानों को पत्र लिखने और कुरान की आयतों को हर तरह के लिखित और मौखिक स्रोतों से इकट्ठा करके एक खण्ड में लिखने के लिए नियुक्त किया गया। ज़ायद इब्न थबीत ने आयतों को चर्मपत्र, कंधे की हड्डी, खजूर के पत्तों के डंठल और लोगों की यादों से इकट्ठा करके एक किताब की शक्ल में Quran Sharif का रूप देने के लिए सहेजना शुरू किया। बाद में इसी की मूल प्रति अबू बक्र को मिली थी।
कुरान कितने प्रकार की है?
1. कूफी कुरान - आयत 6236
2. बशरी कुरान - आयत 6216
3. शयामि कुरान - आयत 6250
6. साधारण कुरान - आयत 6666
4. मक्की कुरान - आयत 6212
5. इराकी कुरान - आयत 6214
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