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Patriarchy | पितृसत्ता क्या है?

द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि पितृसत्ता ( Patriarchy ) क्या है? Patriarchy एक सामाजिक व्यवस्था है ...

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द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि पितृसत्ता (Patriarchy) क्या है?

Patriarchy एक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें पुरुषों का स्त्रियों के ऊपर नियंत्रण होता हैं, हिंदी में इसे पितृसत्तात्मकता पद्धति कहते हैं।

इस शब्द का English में Antonyms यानि विलोम शब्द है Matriarchy जिसे हिन्दी में मातृसत्तात्मक पद्धति कह सकते हैं। यह शब्द Patriarchy के समकक्ष है जहां Patriarchy में पुरुषों का दर्जा स्त्रियों से ऊपर होता है, वहीं Matriarchy में स्त्रियों का दर्जा पुरुषों से ऊपर होता है। यानि जिस समाज में माँ को घर की स्वामिनी माना जाता है।

[Patriarchy] हमारा मानना है कि ये दुनिया पुरुषों के लिए नहीं बनी है, बल्कि महिलाओं के लिए बनी है। लेकिन पुरुष हर चीज पर अपना अधिकार जताते आए है। जो कहीं से भी सही नहीं है। अच्छा है, आज की मुखर पीढ़ी इस बात को ढंग से समझने लगी है। 

लेखिका ममता सिंह बताती है कि - कोई लाख कहे कि व्रत-उपवास प्रेम है, परंपरा का पालन है, रूटीन से ब्रेक है, महिलाओं के लिए सजने-संवरने खिलखिलाने का जरिया है, मैं कहती रहूंगी कि यह पितृसत्ता (Patriarchy) का षड्यंत्र है।

मज़ा तो उन स्त्री-पुरुषों को देखकर आता है जो 364 दिन स्त्री-मुक्ति की KaVita, कहानियों, विमर्शों में व्यस्त रहते है, क्रांति के अग्रदूत बनते हैं लेकिन किसी व्रत, पर्व के दिन राम जी की गाय बनकर परंपरावादी बन जाते हैं। यही नारी सशक्तिकरण के नाम पर पितृसत्तात्मक समाज का दोहरापन है।

क्या आपने पत्नी पूजा के बारे में सुना है?

भारत में पति पूजा तो आम बात है लेकिन क्या आपने कभी पत्नी पूजा के बारे में सुना है?

केरल में एक वंश हुआ था चेर वंश जिसके एक राजा हुए थे- शेनगुट्टवन, उन्होंने अपने राज्य में पहली बार पत्नी पूजा की शुरुआत की थी। इसके अन्तर्गत शिल्पादिकारम (तमिल महाकाव्य) की नायिका कन्नगी की पूजा की जाती है। शिल्पादिकारम की कहानी एक त्रिकोण प्रेम कथा है जिसमें मुख्य पात्र कोवलन, कन्नगी, माधवी हैं।

अब सोचिए कि जिस देश में परंपराओं का सदियों तक पालन होता है वहां पत्नी पूजा की परंपरा क्यों नहीं बन पायी? इसकी वजह सिर्फ पितृसत्ता (Patriarchyहै।

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