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क्या मानव जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है?

The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है।  [Life is Nothing]  आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या मानव जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है? क्या...

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The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। [Life is Nothing] आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या मानव जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है? क्या मनुष्य के जीवन का कोई प्रयोजन नहीं है?

किसी ने कहा है कि- "पेट के लिए भोजन और सुकून के लिए कुछ आदतें पाल लीजिए तो पैसे चाहिए। चार पैसे के लिए यही आदत 99 का चक्कर लगवा कर आपको इस दुनियां में फंसाए रखती है, न आप इससे उबर पाते हैं और न ही डूब पाते हैं!!"

कभी न कभी अपने जीवन में आपने यह पंक्तियाँ भी जरूर सुनी होंगी - 

  • जीवन का एक ही सत्य है, मृत्यु ! बाकी सब मोहमाया
  • क्या लेकर आए थे, क्या लेकर जाओगे?
  • सिकंदर के जाते हुए दोनो हाथ खाली थे।
  • पैसे कमा कर क्या करना, सिर्फ़ भाईचारा चाहिये।
  • पैसे से बड़ी कार ले लोगे, बड़ा घर बना लोगे, उसके बाद क्या?
  • पैसे को तो गधे भी नही खाते, पैसे से कोई ख़ुशी नही मिलती।

सिद्धार्थ का भी कहना है कि जीवन का कोई प्रयोजन नहीं है, जीवन बस जीवन है! जिस दिन आप इस बात को समझ लेंगे उस दिन न जाने कितनी मुसीबतों से बच जायेंगे।

Is there no purpose in life?

हमारी और आपकी लगभग सारी मुसीबतें अपने बनाए उद्देश्य और अपेक्षाओं पर टिकी रहती हैं!

हम हर बात, हर रिश्ते, हर चीज़ों में उद्देश्य तलाश करने वाले जीव हैं। जिस दिन ये उद्देश्य की आपाधापी आपके जीवन से लुप्त हो जाती है आप शांति का अनुभव करने लगेंगे।

जीवन ऐसे ही है जैसे आपको पैदा करके किसी भगदड़ में छोड़ दिया जाए... फिर आप क्या करेंगे?

ज़ाहिर सी बात है आप भी भागेंगे... नहीं भागेंगे तो भगदड़ में कुचल जाएंगे... अब इस भागने में जो कि मजबूरी के तहत था उसमें आप उद्देश्य ढूंढने लगें...

आप सोचने लगें कि हमें भाग कर कहीं पहुंचना है... जो पहले पहुंचेगा उसे इनाम मिलेगा.. भागने में रिश्ते बनेंगे और एक दूसरे को उठा कर भागने और एक दूसरे की मदद करके भागने में ज़्यादा पुण्य है...

इस भगदड़ में भागने के लिए आप तमाम बातें और दर्शन (Philosophy) गढ़ सकते हैं। लेकिन आपके बनाए इन तमाम मकसद से इस भगदड़ का कोई मक़सद तय नहीं हो जाता है..

हक़ीक़त तो वही रहेगी कि आप इस भगदड़ में ला कर छोड़ दिए गए और अब आप भी भाग रहे हैं बस.. बिना कुछ जाने बिना कुछ समझे।

इसे एक दूसरे उदाहरण से भी समझिए

जैसे यह पृथ्वी एक Water Park है.. आपको इस Water Park में पैदा कर के छोड़ दिया गया... अब आप यहां क्या-क्या करते हैं ये आप पर निर्भर है।

आप यहां Rain Dance करेंगे? या Roller Coaster पर बैठेंगे.. या फिर ऊंची छलांग लगाएंगे.. ये सब आप पर निर्भर है.. आप अपना मक़सद खुद तय कर सकते हैं... कि जीवन भर इस Water Park में आपको करना क्या है?

आप बगैर किसी भी Ride में हिस्सा लिए... चुपचाप कोने में बैठकर लोगों को देख भी सकते हैं।

मकसद हम और आप बनाते हैं फिर हम अपने अहम के कारण उसे जीवन का मक़सद बना देते हैं।

जो चालाक लोग हैं वो अपने अहम या घमंड को मरते दम तक नहीं छोड़ते हैं.. वो इस जीवन का मक़सद तलाश करने में जुटे रहते हैं.. क्योंकि उन्हें यक़ीन ही नहीं होता है कि ऐसे कैसे उनका जन्म इस पृथ्वी पर बिना मक़सद के हो गया है.. इतनी महान सोच इनकी और ये बिना मकसद अवतरित हो गए.. ज़रूर ये यहां सब के ऊपर एहसान करने आए हैं..

फिर वो कल्ट बनाते हैं, धर्म बनाते हैं, सम्प्रदाय बनाते हैं...

सब अपनी व्यक्तिगत असुरक्षा के भाव के कारण...

झूठ-मूठ एक उद्देश्य ढूंढते हैं और फिर उसे भीड़ का मक़सद बना देते हैं और सबको उसी मक़सद में फंसा देते हैं!

आप ये क्यों नहीं मान सकते हैं कि जब तक जिए तब तक जिए और मर गए तो मर गए...

इसे मानने में क्या परेशानी है? आप ये क्यों नहीं स्वीकार कर पाते हैं कि आपके इस संसार से जाते ही आपका चैप्टर ख़त्म हो जाता है? क्यों आपको मरने के बाद भी अनंत तक जीने का घमंड करना है?

कभी जानवरों और पशु-पक्षियों को देखा है जीवन का मक़सद ढूंढते हुए? क्यों नहीं आप भी वर्तमान में जी कर मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पाते हैं?

जिस दिन लोग यह समझ जाएंगे उनके आसपास की सारी आपाधापी ख़त्म हो जाएगी...

सारे धर्म, बेवकूफी भरी सारी संस्कृतियां खत्म हो जाएगी...

ये पति-पत्नी बनाना और सात जन्म साथ जीने की बेवकूफी खत्म हो जाएगी...

आप सच में लोगों से प्रेम कर पाएंगे क्योंकि जब मक़सद ख़त्म होता हैं तब प्रेम पनपता है.. मक़सद ख़त्म होने के साथ आपके महान होने का घमंड चूर-चूर हो जाता है!

जब तक सूरज चांद रहेगा ‘फलाने’ तेरा नाम रहेगा...

जबकि सूरज को न तो ‘फलाने’ की फिक्र है और न ‘अलाने’ की... इस ब्रह्माण्ड को किसी की बेवकूफी और महानता से कोई मतलब नहीं है...

कब कौन सत्ता पर है? किसने राज किया? कौन आया कौन गया? पूरे ब्रह्मांड को इसकी कोई फ़िक्र नहीं है.. पृथ्वी की एक उम्र है उसके बाद सब खत्म... अपनी उम्र पूरी होने के बाद यह सूरज भी बुझ जाएगा... हम और आप भी ऐसे ही बुझ जाते हैं।

जीवन अपने आप में बहुत सुंदर है... उद्देश्य के साथ ये कुरूप हो जाता है और आपने और हमने ये सारी अफरातफरी, तमाम मक़सद के तहत गढ़ ली है... और इसी चक्कर में हम आप जीवन कभी जी ही नहीं पाते हैं... मकसद ही ढूंढने में जीवन गंवा देते हैं!

किसी ने कहा है कि- "कुछ भी, कहीं भी, हमारे बिना रुकेगा नहीं,
इसलिए अपने आप को अति महत्वपूर्ण समझने की गलती ना करें...!!"

आप चाहे जितनी भौतिक संपत्ति जुटा लें, वो सब एक न एक दिन पुरानी हो जानी है। यही इस दुनिया का नियम है। यहां कोई भी चीज जीवन पर्यंत नहीं है। उसकी कोई कीमत नहीं और यह सब साथ भी नहीं ले जा सकते।

आप माने, या न माने हम कहीं और से संचालित होते हैं। जिसका किसी को कुछ पता नहीं है।

न यह अमीरों का दर्शन है। न यह वंचितों का दर्शन है। वंचित लोग तो उन तमाम चीजों को एकत्र करने में ही अपनी जिंदगी काट देते हैं। अगर आप यह सब जितनी जल्दी समझ जाएं, तो उतना ही आपका जीवन बेहतर और सुखमय हो जाएगा।

यह सब कहने का यह अर्थ मत लगाइए कि आपके पास एक अदद मकान न हो, कार न हो। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि भौतिक संपत्ति अधिक से अधिक एकत्र करने की जो लालसा मन में पाले हैं, उसके लिए बेमतलब हाइपर टेंशन, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसे रोगों के रोगी मत बन जाइए। अगर हो भी जाए तो इस पर आसक्त मत होइए, क्योंकि इसमें कोई सुख या स्थायित्व नहीं है और न कोई स्टॉप लाइन है कि यहां पहुँचकर आप खुश हो जाएंगे।

तो मसला यह है कि आज को जी लीजिए। ज्यादा उछल-कूद करने की जरूरत नहीं है। दुःख, निराशा, नाराजगी, शिकायत या किसी भी नकारात्मक इमोशंस की जिंदगी में दूर-दूर तक कोई जगह नहीं होनी चाहिए। थोड़ा समता भाव बनाए रखिए कि हम किसी को दुःख नहीं पहुंचाएंगे।

अगर ज्यादा खुश होंगे तो कोई बेवजह झटका ऐसा लग जाएगा कि आप तर्क लगाते रहिएगा कि यह कैसी मुसीबत सिर पर आ गई!

क्यों जीवन में उद्देश्य की जरूरत है?

मनुष्य की चेतना किसी बेलगाम घोड़े जैसी चलायमान है। इसे जीने के लिए महान उद्देश्यों का अवलंबन चाहिए, बड़े प्रयोजनों में अपनी भूमिका चाहिए, ईश्वर के प्रिय पुत्र होने का आश्वासन चाहिए, ब्रह्मांड के सबसे खास जीव होने की श्लाघा चाहिए।

इसलिए मनुष्य निरंतर कहानियों की रचना कर इस जीवन को तो रोचक बनाना चाहता ही है, वस्तुतः जीवन के बाद भी किसी तरह अपनी हस्ती बचाए रखना चाहता है - कभी Punarjanm के माध्यम से, तो कभी Atma का जजमेंट डे अथवा स्वर्ग-नर्क इत्यादि के किस्सों से।

अगर किसी इंसान को यह प्रतीत हो जाए कि उसकी इस विराट ब्रह्मांड में कोई औकात नहीं, उसकी बनाई कहानियों का वास्तविकता में कोई मोल नहीं, उसकी प्रार्थनाओं का उत्तर देने वाला कोई ईश्वर इस संसार में नहीं है, मृत्यु के बाद कुछ भी नहीं - सिवाय शाश्वत अंधकार के- तो ऐसा मनुष्य क्षण भर में अचेत होकर भूमि पर गिर पड़ेगा।

देखा जाए तो मनोहर कहानियों के बिना इंसान नामक जीव जिंदा रह ही नहीं सकता।

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