The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम समझेंगे कि क्वांटम मैकेनिक्स से चेतना कैसे बनी? ब्रह्माण्ड के बारे में हमा...
The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम समझेंगे कि क्वांटम मैकेनिक्स से चेतना कैसे बनी? ब्रह्माण्ड के बारे में हमारी मानवीय समझ कैसी है, और उसमें क्वांटम मैकेनिक्स का प्रवेश कैसे हो रहा है?
जब मनुष्य अफ्रीका में एक जगह से दूसरी जगह घूम रहा था तब से इस संसार को समझने की उसकी जिज्ञासा से यह सारी कवायद शुरू होती है। उसकी जिज्ञासा तब भी थी, जब वह अफ्रीका से निकल कर पूरी दुनिया में फ़ैल रहा था।
प्राचीन यूनान को पहली वैज्ञानिक समझ वाला कहा जा सकता है। यूनानी दार्शनिक अरस्तू के अनुसार पृथ्वी पूरे ब्रह्माण्ड के केंद्र में थी और क्योंकि यह केंद्र था इसलिए सभी खगोलीय पिंड इसके तरफ आकर्षित होते थे। यह काफी समय तक मशहूर रहा, कि सभी पिंड घेरे में पृथ्वी के चारों ओर घूमते है। यहां तक कि क्लाडियस टॉलमी ने भी ईसा मसीह के जन्म के 200 वर्ष बाद इसका गणितीय विवरण दिया था।
टॉलेमी का गणितीय विवरण काफी शानदार था वो नेविगेशन में बहुत सही साबित हुआ था। यह पहला पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण था जिसका गणितीय सूत्रीकरण भी उपलब्ध था। हज़ारों वर्षों तक इसे कोई चुनौती नहीं मिली। फिर निकोलस कोपरनिकस ने 1500 ईस्वी में इसे पहली चुनौती दी। जब उन्होंने बताया कि पिंड पृथ्वी के चारों ओर चक्कर नहीं लगा रहे बल्कि पृथ्वी खुद सूर्य के चक्कर लगा रही है।
उस समय इसे समझ पाना सभी के लिए आसान न था, उनका प्रश्न होता कि अगर हम घूम रहे हैं तो हमें स्थिरता क्यों महसूस हो रही है? आम आदमी को तो ये एक बेवकूफी भरी बात लगती थी क्योंकि वह तो अपने घर की छत पर आराम से खटिया पर लेटा रहता था उसे तो कोई झटका महसूस नहीं होता था।
अब चूंकि कोपरनिकस ने अपने अंतिम दिनों में यह थ्योरी दी थी इसलिए ना तो उन्हे ज्यादा विरोध झेलना पड़ा ना ही लोगों ने उसे ज्यादा गंभीरता से लिया। लेकिन लेट 1500s में गैलिलिओ ने अरस्तू के वर्ल्ड व्यू को पूरी तरह से खारिज़ कर दिया और घोषणा कर दिया कि कॉपरनिकस सही कह रहे है।
गैलीलियो का इसके पीछे कारण था के वो साइंस को एक्सपेरिमेंट बेस्ड रखना चाहते थे न कि "किसी बड़े आदमी ने बोल दिया तो मान लेंगे।" टाइप्स, गैलिलिओ का तर्क था के अगर आप Demonstrate कर सकते हो के ये ऐसे हो रहा है तो हम आपकी बात मानेंगे चाहे आप किसी भी हैसियत के हों।
यहीं से आप मान सकते हैं के वैज्ञानिक कुशाग्र बुद्धि की सही शुरुआत हुई थी, जब विज्ञान के नाम पर शाही या धार्मिक बकवास को झेलना बंद हो गया था।
हालांकि चर्च ने गैलीलियो गैलिली का काफी विरोध किया लेकिन गैलीलियो ने नींव रख दी थी प्रयोग आधारित वैज्ञानिक तरीके की, बाद में चर्च ने 1990s में गैलीलियो के प्रतिकार के लिए माफ़ी मांगी।
उसके बाद Newton हुए जिन्होंने इसी तरीके से कई Mathematical Models दिए वर्ल्ड व्यू के, केप्लर एक और प्रोमिनेन्ट साइंटिस्ट हुए इसी दौर में वर्ल्ड व्यू देने वाले, जिन्होंने के आईडिया दिया के कैसे प्लैनेट्स सूर्य के इर्द गिर्द घूम रहे हैं। फिर आइंस्टीन हुए जो आज तक के सबसे प्रमुख वैज्ञानिक माने जाते हैं। उन्होंने Atom से लेकर Wave particle, Duality, Relativity और पता नहीं क्या-क्या दुनिया को दे दिया।
अब तक ये माना जा रहा था कि दुनिया के बारे में जो भी जाना जा सकता था वह 1900 के पहले दशक में ही मानव ने जान लिया है।
लेकिन ये मानव का वहम था। मैक्स प्लान्क ने Quantum का पहली बार जिक्र किया। एक वैज्ञानिक ने पहली प्राथमिक कण (Elementary Particle) की खोज की, आइंस्टीन 1920s तक साइंस की दुनिया को गुलज़ार करते ही रहे नयी नयी खोजों के साथ।
रिलेटिविटी आयी, स्पेस टाइम ग्रेविटी सब एक से बढ़िया एक आइडियाज निकलकर आ रहे थे जो के हमारी दुनिया की समझ को फिनिशिंग लाइन की तरफ ले जा रहे थे।
लेकिन इसी समय पर हमारे वर्ल्ड व्यू में सूक्ष्म दुनिया की भी खोज चल रही थी जो के बहुत कुछ बदल देने वाली थी। Atom का मॉडल दिया रदरफोर्ड ने, मगर जो गेम चेंज हुआ वो किया नील्स बोहर और उसकी टीम ने।
क्वांटम मैकेनिक्स का जन्म
नील्स हेनरिक डेविड बोर ने बताया के एटम में Nucleus है जिसमें कि प्रोटोन न्यूट्रॉन हैं, इलेक्ट्रान चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं जैसे कि प्लैनेट्स सूर्य के लगाते हैं।
सूक्ष्म सोलर सिस्टम
इसी पंक्ति में एक और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक हुए Erwin Schrödinger जिन्हे हिन्दी में इरविन स्क्रोडिंगर या अर्विन श्रोडिन्गर लिखा जाता है, वही जिनके डब्बे में बिल्ली वाली प्रोबेबिलिटी थ्योरी आज भी मीम्स का विषय है।
इस सूक्ष्म दुनिया के बारे में उन्होंने काफी इनपुट्स दिए। हैसेंबेर्ग ब्रोग्ली जैसे और भी साइंटिस्ट्स इस सूक्ष्म दुनिया को गुलज़ार करते रहे।
इस दुनिया की खोज ना केवल आइंस्टीन Newton, Galileo इत्यादि से हटकर चल रही थी, बल्कि इसके सिद्धांत उनके दिए सिद्धांत का विरोध भी कर रहे थे।
इस सूक्ष्म दुनिया का अजीब व्यवहार था। जो कि दुनिया में बड़ा Confusion क्रिएट कर रहा था, इस तरह का Confusion कि इस दुनिया की कुछ चीज़ें आइंस्टीन के मरने के कई दशक बाद उनकी एक बात को गलत साबित करने वाली थी।
क्या है ये दुनिया और इसकी मिस्ट्री?
Quantum Entanglement है के दो पार्टिकल्स जो के यूनिवर्स के अलग-अलग छोर पर हैं अगर उनमें से एक को Observe किया जाता है तो दूसरे की भी उसी हिसाब से ऑब्जरवेशन बदल जाती है। जैसे के अगर पहला पार्टिकल लेफ्ट साइड की और घूम रहा होगा Observe करते समय वो तुरंत यूनिवर्स के दूसरे छोर पर पड़ा उसका Entangled पार्टिकल राइट साइड को घूमता ऑब्जरवेशन में आ जाएगा।
ये थ्योरी क्वांटम मैकेनिक्स के सेण्टर में है एकदम। लेकिन इस थ्योरी की खास बात यह है कि लोकैलिटी के सिद्धांत को Violate कर रहा है।
डबल स्लिट(एक रेक्टेंगुलर ऑब्जेक्ट में दो रेक्टेंगुलर छेद किये हुए हैं) एक्सपेरिमेंट जो 1800s में हुआ था उसने इस सवाल को पहली बार उठाया था कि क्या पार्टिकल्स ऑब्ज़र्व करने पर अपनी स्टेट बदल लेते हैं। जैसे के अगर दोनों छेद से लाइट पास हुई तो पीछे दीवार पर दो छेद से 8-10 की परछाई बन रही थी, जो के एक वेव की तरह का बिहेवियर था, जैसे के जब आप पानी में पत्थर मारते हैं तो कई तरंगे बनकर निकलती है, जबकि जब उसे केवल एक छेद से पास होते हुए Observe किया (जैसे के जब एटम या फोटोन पास हो तो कोई बीपर बज जाए) तो पीछे केवल उन दो छेद की परछाई बन रही थी, यानी बिना Observe हुए मामले में तो वो वेव के तौर पर एक्ट कर रहे थे लेकिन जैसे ही उन्हें Observe किया तो वो वैसे ही काम करने लगे जैसे के Newton के हिसाब से करने चाहिए थे, यानी के छेद में से पार होकर सीधे सामने की दीवार पर टकराना।
इस थ्योरी की वजह से आइंस्टीन और नेल्स बोहर में बहस भी रही, क्यूंकि ये रियलिटी को पूरी तरह से bend करने वाली चीज़ थी, खासकर जिस तरह से आइंस्टीन रियलिटी को देखता था अपनी जनरल रिलेटिविटी की थ्योरी से, और जिस तरह से newton फोटोन्स को ट्रेवल होते हुए देखता था। आइंस्टीन ने कहा था के इसके पीछे कुछ और भी है जो के ह्यूमन मेज़रमेंट से परे है इसलिए ये पैराडॉक्स सा है। आइंस्टीन इसे सॉल्व करने के लिए काम भी करना चाहते थे लेकिन मौत से पहले नहीं कर पाए।
आइंस्टीन ने क्वांटम मैकेनिक्स को रिजेक्ट करने के लिए एक यूनिफाइड फील्ड थ्योरी टर्म भी कॉइन की थी लेकिन कुछ ख़ास प्रोग्रेस नहीं हुई प्रॉब्लम सॉल्व करने की जानिब। पन्गा सारा है के जनरल रिलेटिविटी जहां सभी चीज़ों को ग्रेविटी की नज़र से देखती है वहीँ क्वांटम मैकेनिक्स subatomic पार्टिकल्स atoms और मोलेक्युल्स की नज़र से। क्वांटम मैकेनिक्स ये मानती है के बहुत छोटे छोटे पार्टिकल्स हैं जो के सब चीज़ों को बनाते हैं।
अब पन्गा ये है के ये जो Subatomic पार्टिकल्स हैं ये नार्मल फिजिक्स के laws से परे काम करते हैं। क्वांटम मैकेनिक्स के खासकर डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट से निकले सवाल कि ये एक्सपेरिमेंट बाद में भी होते रहे, किसी ने डबल स्प्लिट की जगह अपने शरीर का बाल लाइट सोर्स के ऊपर रखकर किया, ऐसे ही एक मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन के साथ भी हुआ 2023 में जब एक लेज़र से लाइट मोबाइल की स्क्रीन पर फेंकी गयी, लेकिन जब एक और लेज़र से उसी स्क्रीन पर दूसरी लाइट फेंकी गयी तो ना केवल पहली का रंग बदल गया बल्कि फ्रीक्वेंसी भी और स्क्रीन भी आईने की तरह पेश आने लगी। यह एक Unsolved प्रॉब्लम थी कि ऐसा क्यों हो रहा है।
ऐसे ही Quantum Entanglement का भी है, ऐसा कैसे हो सकता है के यूनिवर्स में अलग अलग जगह पर दो पार्टिकल्स जुड़ा हुआ बिहेवियर दिखा रहे हैं, एक को Observe करने पर दूसरे की ऑब्जरवेशन बदल जाती है। आइंस्टीन की बात सही लगती है कि कुछ है जो के अभी भी छिपा हुआ है और क्वांटम मैकेनिक्स की भी कि छोटी-छोटी चीज़ें हैं जो कि एक बड़ी जुड़ी हुई चीज़ में अलग ही तरह से एक्ट कर रही है।
इन दोनों को जो जोड़ने की कोशिशों में Theories आयी हैं उनका सार यही है के सब चीज़ें जो यूनिवर्स में हैं वह आपस में जुड़ी हुई हैं, एक कॉमन फील्ड है जिसमे सब कुछ एक्सिस्ट करता है, और एक जगह पर कुछ होना पूरे यूनिवर्स में असर डालता है चाहे वो कितना ही छोटा असर हो और बेशक इंसानी मेज़रमेंट से परे हो।
क्वांटम मस्तिष्क के सुराग?
गहराई में जाकर देखें तो आपका मस्तिष्क ब्रह्माण्ड के सबसे छोटे-छोटे पदार्थों का समूह है। ये Subatomic particles रोज़मर्रा की दुनिया के नियमों के अनुसार नहीं चलते। वे क्वांटम भौतिकी का पालन करते हैं - दिमाग को झकझोर देने वाला यह सिद्धांत जो मानता है कि वस्तुएँ एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद हो सकती हैं और उलझे हुए परमाणु विशाल दूरी पर तुरंत परस्पर क्रिया कर सकते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस सूक्ष्म क्षेत्र में होने वाली अजीबोगरीब घटनाएं चेतना को समझने की कुंजी हो सकती हैं। लेकिन कम सबूतों के कारण अधिकांश लोग संशय में हैं।
Challenges | चुनौतियां
कुछ वैज्ञानिकों का तर्क है कि Quantum processes के लिए मस्तिष्क बहुत अधिक गर्म और अव्यवस्थित होता है। अन्य लोग कहते हैं कि चेतना को क्वांटम यांत्रिकी के समीकरणों में नहीं पाया जा सकता।
कोई टिप्पणी नहीं
PLEASE NOTE:
We have Zero Tolerance to Spam. Cheesy Comments and Comments with 'Links' will be deleted immediately upon our review.