द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। दिमाग कंप्यूटर पर कब अपलोड होगा? इस सवाल के जरिए हम आज की चर्चा में एक नवीनतम तकनीक को समझने का...
द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। दिमाग कंप्यूटर पर कब अपलोड होगा? इस सवाल के जरिए हम आज की चर्चा में एक नवीनतम तकनीक को समझने का प्रयास करेंगे।
एमाज़ॉन इण्डिया > प्राइम वीडियो पर एमी अवॉर्ड से पुरस्कृत ग्रेग डेनियल द्वारा बनाई गई एक वेब सीरीज Upload. है, इसे Si-fi के साथ थोड़ा कॉमेडी मिक्स करके बनाया गया है। सीरीज का विषय है कि 2033 में इंसान पसंद के Virtual परलोक में अपनी चेतना को अपलोड कर सकेंगे।
यह तो बात हुई, इसके संक्षिप्त विषय वस्तु की !
अब बात करते हैं कि मानव मस्तिष्क के सम्पूर्ण डेटा को सर्वर पर अपलोड करने का वास्तव में जो यह वृहद कार्यक्रम चल रहा है, उस पर।
आज हम इतना समझ गए हैं कि मानव चेतना की Processing > Network Units के अंदर विद्युत संकेतों के इनपुट और आउटपुट से होती है। यह सब एक तरह से कंप्यूटर की तरह काम करता है।
लेकिन, वास्तविकता इससे कहीं अधिक जटिल है। वैज्ञानिकों को इस शोध में अभी कई बाधाएँ पार करनी है!
जैसे - अभी हम यही नहीं जानते कि
- न्यूरॉन्स आपस में किस तरह कनेक्ट करते हैं?
- मानव मस्तिष्क अपने अंदर कितनी बाइट मेमोरी स्टोर करके रख सकता हैं?
कल्पना करिए कि इसे कंप्यूटर में स्थानांतरित करना कितना कठिन कार्य होगा। पहले समस्त यादों व अनुभवों को एक-एक कर कोड में बदलना होगा जिसे कंप्यूटर, स्टोर होने के बाद पढ़ और अच्छे से उपयोग कर सके।
इंसान के दिमाग में लगभग 100 अरब न्यूरॉन होते हैं (उतने, जितने तारे मिल्की वे में गिने जा सकते हैं) यह एक चूहे के 1 घन मिलीमीटर मस्तिष्क में मौजूद न्यूरॉन्स से दस लाख गुना ज़्यादा हैं। और इनके कनेक्शनों की अनुमानित संख्या 10,000000000000000 (दस के बाद 15 शून्य) यह संख्या 1 किमी लंबे समुद्र तट पर रेत की दो मीटर मोटी परत में मौजूद एक-एक कण के बराबर है।
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