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Rakesh Kayasth | Famous author of india in 2024

The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे आज 2024 में India के Famous author Rakesh Kayasth के जीवन संघर्ष ...

Rakesh-Kayasth-Biography-Hindi

The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे आज 2024 में India के Famous author Rakesh Kayasth के जीवन संघर्ष के बारे में।

About: Rakesh Kayasth- राकेश कायस्थ मौजूदा पीढ़ी के उन चंद लेखकों में शामिल हैं, जो व्यंग्य की ताकत और व्यंग्यकार होने की जिम्मेदारी को ठीक से समझते हैं। बोलती बतियाती भाषा में बड़ी कहानी कहने का हुनर राकेश कायस्थ को मौजूदा दौर के लोकप्रिय लेखकों की कतार में शामिल करता है।

राकेश कहते हैं कि-

"जो चाहो, होता है ठीक उसका उल्टा है!"

Rakesh Kayasth आगे बताते हैं कि- "पढ़ने-लिखने से भागता था, लेकिन पढ़ने-लिखने के धंधे में आ गया। नौकरी नहीं पत्रकारिता करना चाहता था, लेकिन पत्रकारिता कब नौकरी बन गई, पता ही नहीं चला। पत्रकारिता की मुख्य धारा में डेढ़ दशक तक बहने के बाद फिलहाल कुछ नया करने की कोशिश कर रहा हूं"।

राकेश का कहना है कि-

टेढ़ापन ही व्यंग्य का असली संस्कार है"!

अख़बार और पत्रिकाओं के लिए व्यंग्य लिखने का सिलसिला बरसों पुराना है। लेकिन लेखन का सबसे बड़ा हिस्सा टीवी कार्यक्रमों में खर्च हुआ है। टीवी पत्रकारिता के लंबे सफ़र में आजतक, तेज़ और न्यूज़ 24 जैसे चैनलों के कई लोकप्रिय व्यंग्य कार्यक्रमों की परिकल्पना, लेखन और निर्देशन इनके खाते में दर्ज हैं। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के साथ भी पुराना एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर रहा है, जिसकी निशानियाँ मूवर्स एंड शेकर्स जैसे कुछ टीवी शोज़ में देखी गयी थी। सिनेमा, विज्ञापन और खेलों की दुनिया में गहरी रूचि रखने वाले राकेश कायस्थ Star Tv Network से भी जुड़े थे।

इनका क्रिएटिव कैनवास काफ़ी बड़ा है। न्यूज चैनलों पर राजनीतिक व्यंग्य आधारित कार्यक्रमों को विस्तार देने से लेकर, डॉक्युमेंट्री फ़िल्म मेकिंग और 'Movers and Shakers' जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों की पटकथा सरीखे कई काम खाते में दर्ज हैं।

मुख्यधारा की पत्रकारिता में लंबा समय बिता चुके राकेश ठेठ देहाती दुनिया से लेकर चकाचौंध भरी महानगरीय जिंदगी तक पूरे देश और परिवेश को समग्रता से समझते हैं। समय, समाज और सत्ता की विसंगतियों को देखने जो लेंस इनके पास है, वह विरल है।

Hindi Literature Books By Rakesh Kayasth

Rakesh Kayasth की 2015 में आई किताब 'कोस-कोस शब्दकोश' ने खूब चर्चा बटोरी थी। यथावत पत्रिका में पिछले पांच साल से चल रहा कॉलम बतरस भी काफी लोकप्रिय है।

Hindi Literature Books Publishes Publications Date Price
Kos Kos Shabdkosh Hind Yugm, Noida 11 March 2015 90 Rs.
Prajatantra Ke Pakaude KissaGo 1 January 2019 N/A
Rambhakt Rangbaaz Hind Yugm, Noida 7 November 2021 199 Rs.

Author Updates

राकेश जी का चर्चित व्यंग्य संग्रह 'कोस-कोस शब्दकोश' और फैंटेसी नॉवेल 'प्रजातंत्र के पकौड़े' के बाद 'रामभक्त रंगबाज' नई किताब है, जो शिल्प और कथ्य के मामले में पिछली रचनाओं से एकदम अलग है।

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Prajatantra-Ke-Pakaude-Paperback-Front
Rambhakt-Rangbaaz-Paperback-Front

Rakesh Kayasth's Book - Kos Kos Shabdkosh

'कोस-कोस शब्दकोश' एक व्यंग्य संग्रह है। यह किताब चर्चित व्यंग्यकार राकेश कायस्थ जी ने लिखी है। इसमें चार व्यंग्य शामिल हैं:

  • बॉस
  • लोकपाल
  • मातृभाषा
  • बुढ़ापे की लाठी

यह किताब 2015 में आई थी। इसमें परिभाषाएं ऐसी हैं कि आप हंसी रोक नहीं पाएंगे या कई जगहों पर ठहर कर गहरी सोच में डूब जाएंगे। इसे आप हिंदी की पहली मौलिक डिक्शनरी कहें, थिसॉरस, व्यंग्य निबंधों का संग्रह या कुछ और, लेकिन एक बार पढ़ना शुरू करेंगे तो बिना खत्म किए छोड़ नहीं पाएँगे। कोस-कोस शब्दकोश हिंदी के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश में इस्तेमाल होने वाले पचास प्रचलित शब्दों की निहायत ही अप्रचलित परिभाषाओं और व्याख्याओं की किताब है। परिभाषाएँ कुछ ऐसी हैं कि आप हँसी रोक नहीं पाएँगे या कई जगहों पर ठहर कर गहरी सोच में डूब जाएँगे। हिंदी के आम पाठक से बोलती बतियाती ये किताब सम-सामायिक विसंगतियों पर गहरी चोट करने के साथ भरपूर मनोरंजन भी करती है।

अब ये 'कोस' क्या है?

तो हम आपको कोस शब्द के कुछ अर्थ बताना चाहेंगे, जैसे-

  • कोस प्राचीन भारतीय पद्धति में दूरी मापने के एक पैमाने को कहते थे।
  • कोस लगभग दो मील के बराबर की एक माप होती थी।
  • एक ऐसा पत्थर जो दूरी का अंदाज़ लगाने के लिए लगाया जाता हो, उसे भी कोस कहा जाता था।
  • एक ऐसा कपड़ा जो सुंदरता के लिए आस्तीन में अलग से सिल दिया जाता हो, उसे भी कोस कहा जाता था।

Rakesh Kayasth's Book - Prajatantra Ke Pakaude

कुछ लोग इसे तीखा राजनीतिक व्यंग्य मान सकते हैं। लेकिन पढ़ने के बाद यह महसूस होता है कि ‘प्रजातंत्र के पकौड़े’ हिंदी फिक्शन में फैंटेसी का एक नया फ्लेवर लेकर आई है। कहानी इतनी दिलचस्प है कि एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद इसे बीच में छोड़ पाना ना-मुमकिन है।

Prajatantra Ke Pakaude एक ऐसी अनोखी फैंटेसी है जिसकी कोई और मिसाल ढूंढना मुश्किल है। किताब आपको शुरू से आखिर तक गुदगुदाती है लेकिन बहुत गहराई से सोचने को मजबूर भी करती है।

कृशन चंदर के बाद लगभग खत्म हो चुकी हिंदी-उर्दू की फैंटेसी परंपरा को जिंदा करती यह किताब शुरू से अंत तक आपको चमत्कृत करती है। इसकी भाषा कहीं चुभती है तो कहीं गुदगुदाती है। किताब के कॉमिक सिचुएशन आपको लगातार लाफ्टर का इंजेक्शन लगाते हैं। किताब सम-सामयिक है लेकिन व्यंग्यात्मक शैली की गई किस्सागोई इसे समय की सीमाओं से परे ले जाती है।

Rakesh Kayasth's Book - Rambhakt Rangbaaz

रामभक्त रंगबाज की कहानी में गहराई है लेकिन लहजे में ग़जब की क़िस्सागोई भी। आरामगंज में कदम रखते ही आप समकालीन इतिहास की उन पेंचदार गलियों में खो जाते हैं, जहाँ मासूम आस्था और शातिर सियासत दोनों हैं। धार चढ़ाई जाती सांप्रदायिकता है लेकिन कभी न टूटने वाले नेह के बंधन भी हैं। अंतरंगी किरदारों की इस अनोखी दुनिया में कभी हँसते तो कभी रोते अफ़साना कैसे गुज़र जाता है ये पता ही नहीं चलता। 

दिल्ली की मुख्यधारा की पत्रकारिता में बरसों तक बहने के बाद आजकल मुंबई में किनारा मिला है, जहाँ राकेश अपनी पत्नी मनीषा और दो छोटे बच्चों अयन और अथर्व के साथ रहते हैं।

Rakesh Kayasth's Social Media Profile

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E-mail rakesh[dot]kayasth[at]gmail[dot]com

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