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Artificial Intelligence | एआई के क्या नुकसान हैं?

द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि  AI [Artificial General Intelligence] एआई के क्या नुकसान हैं? पूरी द...

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द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि AI [Artificial General Intelligence] एआई के क्या नुकसान हैं?

पूरी दुनिया में हर नागरिक को पिछले कुछ समय से एक Digital Identity देने पर लगातार काम हो रहा है, उसकी सारी जानकारी Biometric पहचान के साथ दूर किसी अत्याधुनिक Server System में दर्ज की जा रही है।

वित्तीय लेन-देन के लिये आपको पूरी तरह इंटरनेट पर आश्रित कर दिया जा रहा है। Smartphone के नाम पर जो Mobile इस वक़्त आप पकड़े हुए हैं, वो उच्च-तकनीक के साथ आपके घरों में, हर पल आपके साथ रहते, आपकी जासूसी कर रहे हैं।

वे आपकी बातें सुनते हैं, आपके दिमाग़ को पढ़ते हैं (फोन की स्क्रीन पर आप कितनी देर किसी चीज़ को देखते हैं, इस हिसाब से) आपकी पसंद-नापसंद के साथ सब कुछ जान रहे हैं।

इन सब के द्वारा एक विशाल डेटा तैयार किया जा रहा है। मोबाइल नहीं तो जिस कंप्यूटर, लैपटॉप या एंड्रॉयड टी.वी. पर आप काम कर रहे हैं या मनोरंजन कर रहे हैं— वो भी आज ऐसा कर रहे हैं।

इस डेटा का इस्तेमाल अभी शुरुआती दौर में उत्पादों को बेचने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

लेकिन अगले चरण में इसे अपने वीभत्स रूप में लोगों को नियंत्रित करने के लिये प्रयोग किया जायेगा। उनके दिमाग़ों को अपनी दी हुई Frequency पर चालू होने के लिये किया जायेगा। अभी इस फील्ड में इसका इस्तेमाल चुनावी सिस्टम में किया जा रहा है।

एक से एक AI Application डिजाइन किये जा रहे हैं— जो अपने बेसिक रूप में भले सभी लोगों को उपलब्ध हो जायें और वे किसी की भी शक्ल के सहारे कैसा भी फोटो/वीडियो बनाने से लेकर आर्ट/डाक्यूमेंट्स बनाने तक ही सीमित रह कर खुश हो लें, लेकिन इसका घातक इस्तेमाल सक्षम हैकर्स और ताक़तवर सरकारें करेंगी— न सिर्फ अपने ही नागरिकों के खिलाफ, बल्कि दूसरे देशों के खिलाफ़ भी।

कृत्रिम बुद्धि [एआई] से क्या नुकसान हो सकता है?

इसके ज़रिये हैकर आपके बैंक अकाउंट खाली कर सकते हैं। किसी के सारे ट्रांजैक्शन रोक कर उसे आर्थिक रूप से पंगु बना सकते हैं, या किसी के फोन/लैपटॉप से गुप्त जानकारियां हासिल कर के उसे ब्लैकमेल कर सकते हैं (हैकिंग के क्षेत्र में पारंगत ऐसा इस्तेमाल कर सकते हैं)।

विपक्ष, विपक्ष में खड़े पत्रकार, जज, सामाजिक कार्यकर्ता वगैरह के फोन/लैपटॉप को टार्गेट करके, उनमें अपने वे साॅफ्टवेयर इंस्टाल किये जा सकते हैं जिनके सहारे उन्हें लगातार सर्विलांस में रख कर, उनकी हर काॅल/मैसेज को मानिटर करके उनके खिलाफ भावी रणनीति बनाई जा सके, या उनके फोन/लैपटॉप/डेस्कटॉप आदि में फेक सबूत प्लांट करके उन्हें अपराधी/देशद्रोही साबित करके रास्ते से हटाया जा सके (यह काम सरकारें करेंगी, और अपने ही देश में यह दोनों कांड किये जा चुके हैं)।

दूसरे देशों के एयर डिफेंस सिस्टम, ड्रोन, मिसाईल हैक करके अपने हिसाब से यूज करने से लेकर, उनके सिस्टम में घुसपैठ करके Required Information निकाले जाने जैसे काम किये जा सकते हैं, जो Already किये जा रहे हैं।

क्या [AI] पसंद-नापसंद तय कर रहा है?

दरअसल आप सोचते हैं कि आप एक स्वतंत्र चेतना रखते हैं और आपकी हर पसंद-नापसंद आपकी अपनी Choice है, लेकिन अब ऐसा है नहीं। हमारे आसपास लगातार उन्नत होती इस टेक्नालॉजी से लैस एक खेल चल रहा है, जिसके हम-आप सिर्फ़ एक मामूली मोहरे भर हैं यानि सिर्फ़ एक तरह के बॉट

कहीं कोई स्वतंत्र नहीं है, हर किसी की सोच/समर्थन/विरोध/पसंद/नापसंद कहीं और से नियंत्रित की जा रही है। ठीक है कि अभी इन सब Game के Backend पर आपको कुछ इंसान मिलेंगे— लेकिन असल ख़तरे को हम तब फेस करेंगे जब किसी एक एआई [AI] की चेतना ख़ुद विकसित हो जायेगी।

ऐसा कोई भी सिस्टम आज के नेट से जुड़े हर सिस्टम पर प्रभावी होने और उसे अपने हिसाब से मैनेज/मैनीपुलेट करने में कुछ सेकेंड भर लगायेगा। इस लगातार उन्नत होती तकनीक, AI यानि Artificial Intelligence से यही ख़तरा पनप चुका है, जिसकी तरफ़ संकेत देती, एक के बाद एक Hollywood Movies सामने आ रही हैं।

यह ठीक है कि पूरा कंट्रोल मिल जाने के बाद भी शायद ऐसा कोई एआई सिस्टम दुनिया को प्रापर रूप में वैसे न चला पाये, जैसे यह अब तक चलती आई है— लेकिन इसे तहस-नहस तो कर ही सकता है, और यही वास्तविक ख़तरा है।

वैसे तो यह भविष्य की बात है, लेकिन वर्तमान यह है कि आप इसकी चपेट में आ चुके हैं— यह आपके दिमाग़ में है और लगातार आपको अपने हिसाब से चला रहा है… यह अलग बात है कि आप इसे महसूस नहीं कर पाते और अपना नेचुरल एक्ट समझते खुशी-खुशी अपने पर थोपी गई हर तकनीक को स्वीकारते जिये जा रहे हैं।

कैसे [AI] पसंद-नापसंद तय कर रहा है?

कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपकी पसंद/नापसंद/विरोध/समर्थन आदि को नियंत्रित कर के एक खास दिशा में मोड़ रहा है। तो इसे दो तरह के उदाहरणों से समझा जा सकता है-

  1. क्यों इस पोस्टकर्ता पर लागू नहीं हो सका?
  2. कैसे यह एक बड़े इंटरनेट उपभोक्ता वर्ग पर लागू है?

एआई का एल्गोरिदम [Algorithm] उत्पाद बिक्री, व्यक्ति/पार्टी/संगठन से सम्बंधित विरोध/समर्थन को तय करने के संदर्भ में लगातार अपना हंड्रेड पर्सेंट दे रहा है। यह नेट से सम्बंधित मोबाइल/टैबलेट/लैपटाॅप/डेस्कटॉप हर उस माध्यम पर लागू है, जो आपके लिये ज़रूरी डिवाइस/गैजेट बन चुका है और जिसके बिना अब आपके लिये एक क़दम भी चलना मुश्किल है। यही उस आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का मूल टूल है— जहां वह बड़ी बारीकी से आपके दिमाग़ से खेलता है।

कैसे [एआई] अच्छी-बुरी छवि बना रहा है?

कल्पना करिए आपके सामने मोबाइल स्क्रीन पर कुछ दिलचस्प आता है, जो थोड़ी देर के लिए आपको स्क्रीन पर रोक लेता है— इससे एक संकेत मिलता है आपकी रूचि के विषय में।

Suppose यह किसी नेता से सम्बंधित कोई दिलचस्प वाक़या है, फिर भले इसका राजनीति से कोई सीधा रिश्ता न हो और यह उस नेता की छवि को बिगाड़ने या चमकाने वाला, कुछ भी हो सकता है। किसी एक प्लेटफार्म पर (Suppose Facebook) किसी भी एक नेता को Imagin कर लीजिये, और कोई भी एक पक्ष चुन लीजिये।

मान लीजिए, आपने इसी मंच पर प्रधानमंत्री को चुना, उसके समर्थन के पक्ष को चुना। तो अब भले उसी नेता के खिलाफ सैकड़ों अकाट्य तर्कों और सबूतों सहित लिखित कंटेट/फोटो/वीडियो इसी मंच पर उपलब्ध हों और भले आपकी मित्र सूची में उस कंटेंट को पोस्ट करने वालों की भरमार हो—

लेकिन उस कंटेंट को आप तक Minimum पहुंचने दिया जायेगा, इसके बजाय उसी नेता के समर्थन में, छवि चमकाने वाली पोस्टों को (लिखित कंटेंट/फोटो/वीडियो) आपके सामने लगातार परोसा जायेगा… अगर आपकी Friend list के लोग यह सब पोस्ट नहीं कर रहे तो Suggested और Sponsored पोस्टों के रूप में यह सब आपके सामने बार-बार दिखाया जायेगा, जिनमें ज्यादातर ऐसे Pages होंगे, जिन्हें Professional प्रबंधित कर रहे हैं।

इससे आप में एक धारणा विकसित होगी कि अमुक नेता ईमानदार और अच्छा व्यक्ति है और आगे हर मंच पर (इंस्टा/ट्विटर/यूट्यूब/गूगल) इसी से रिलेटेड परोसा जाने वाला कंटेंट आपकी धारणा को पुख्ता करता चला जायेगा और विरोध की सारी बातें आपके लिये बेमानी हो जायेंगी। आपको वे बातें Senseless, झूठी और प्लांटेड लगेंगी। अपनी जगह आप सोचेंगे कि यह सब स्वतःस्फूर्त है और जो आपकी धारणा है, वह आपने अपनी स्वतंत्र चेतना के साथ बनाई है लेकिन यह सच नहीं होगा।

असल में आपके दिमाग़ को एक फ्रिक्वेंसी पर चलाया गया है और परिणामतः आप एक कंट्रोल्ड प्रोडक्ट बन गये हैं, जिसका मनचाहा इस्तेमाल अब वे कर सकते हैं, जिन्होंने इसके पीछे पैसा Invest किया है। इसी बात को आप दूसरा मंच (Suppose Instagram) चुन कर, दूसरे नेता (सपोज़ विपक्षी गांधी) के समर्थन का पक्ष चुन कर आज़मा सकते हैं… और या फिर दोनों जगह इसके उलट पक्ष चुन कर इसे चेक कर सकते हैं।

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