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कायस्थों में श्रेष्ठता बोध क्यों है?

द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है।  उत्तर भारत की सबसे फेक सवर्णवादी मानसिकता और आत्ममुग्ध जातियों में से एक Kayasth  भी हैं। अमूमन ...

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द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। उत्तर भारत की सबसे फेक सवर्णवादी मानसिकता और आत्ममुग्ध जातियों में से एक Kayasth भी हैं। अमूमन इनको और इनके श्रेष्ठता बोध को ब्राह्मणों के रवैये के बीच नज़रंदाज़ कर दिया जाता है।

क्या कायस्थ श्रेष्ठता बोध से ग्रस्त हैं?

कायस्थों के मन में श्रेष्ठता बोध भयंकर रूप से भरा है। कायस्थों में मिथ्या अहम है कि इनके अलावा कोई पढ़ने-लिखने में अच्छा नहीं हो सकता। इनके अलावा कोई सिविल सर्विस नहीं निकाल सकता। इनका जन्म ही पढ़ाई-लिखाई में प्रवीण होने के लिए हुआ है और ज्ञान पर इनका कॉपीराइट है।

कायस्थों के बच्चे सबसे सभ्य और सुलझे हुए होते हैं। ये न होते तो देश के सारे शिक्षण संस्थान बन्द हो जाते। और मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, पत्रकारिता वगैरह की सारी पढ़ाई और नौकरियों पर पहला अधिकार इनका है।

और ऊपर की सारी चीज़ें ये इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आरक्षण उसमें आड़े आ जाता है।

मज़े की बात ये है कि ये आरक्षण का बहाना वो माँ-बाप और बच्चे भी बनाते हैं, जिनकी इन परीक्षाओं में 80 हज़ार से डेढ़ लाख के बीच रैंक भी मुश्किल से आती है। बच्चों को बताया ही ये जाता है कि पढ़ाई का मक़सद सिर्फ नौकरी हासिल करना है, अच्छा इंसान बनने से तो पढ़ाई का क़तई कोई सम्बन्ध नहीं है..!

इनको लगता है कि वंचित तबका इनका हक़ छीन रहा है, जबकि असलियत ये है कि वो बस अपना हक वापस ले रहा है। इनकी असल दिक्कत वह ताक़त चले जाने की है, जिसके दम पर ये गरीबों की बही में गड़बड़ी कर, उसकी खाल तक गिरवी रखवा देते थे।

ये चाहते हैं कि इनके बच्चे सिविल सर्वेंट बनें, सरकारी नौकरियों में भरे रहे, जिस से घर घूस से भरा रहे... और हां, Srivastava कुछ अपवादों को छोड़ कर दहेज़ को लेकर भयंकर पर्टिकुलर होते हैं। अगर समाज में सही चेतना होती तो मारवाड़ियों और ब्राह्मणों के बाद सबसे बड़ी संख्या में Kayasthas ही दहेज़ के केस में जेल में होते।

क्या कायस्थ अवसरवादी होते हैं?

ये इतने जातिवादी हैं कि अपने समाज में भी एक दूसरे से उंच-नीच करते हैं, श्रीवास्तव सक्सेना से, सक्सेना, निगम से शादी नहीं करना चाहता। ऐसे में इनकी दलित और पिछड़ों को लेकर सोच क्या है, इस बारे में क्या कहा जाए? ये भयंकर अवसरवादी भी होते हैं। इसीलिए इनको मायावती नहीं पसंद लेकिन इनकी रीति के साथ चलने वाले मोदी, योगी, कटियार, उमा भारती या कल्याण सिंह से इन्हें कोई दिक्कत नहीं। हां, इनके समाज में साम्प्रदायिकता भी व्याप्त है, क्योंकि साम्प्रदायिकता का एक कारण, श्रेष्ठता बोध भी होता है!

वर्तमान सत्तापक्ष को मज़बूत करने वालों में एक जाति यह भी है। चूंकि मूलतः डरपोक और सुविधा भोगी होते हैं, इसलिए सीधे राजनीति में नहीं आते बल्कि सुविधा का राजनैतिक पक्ष चुन लेते हैं। अमिताभ बच्चन भी इनके ही चरित्र का उदाहरण हैं।

हां, हर समाज की तरह यहां भी अपवाद हैं। लेकिन वो सब अमूमन अपने परिवार के जातीय चरित्र को लेकर चुप रहते हैं। मैं नहीं रह सकता। घर से ही लड़ाई शुरू हुई थी, वहीँ कई बार हारा भी और वहीं जीत भी चाहिए। मैंने कौन सा Kayasthas कुल में पैदा होने के लिए UPSC का एग्जाम पास किया था। आपने किया था क्या???

~ Mayanak Saxena

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