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मुसलमान रूढ़िवादी कैसे बन गए?

1980-90 के दशक में मैने पाकिस्तान से आए लोगों को देखा था। उस दौर में Islamabad से उन लोगों में कुछ महिलायें भी थीं। उनके विपरीत भारत में मध्...

1980-90 के दशक में मैने पाकिस्तान से आए लोगों को देखा था। उस दौर में Islamabad से उन लोगों में कुछ महिलायें भी थीं। उनके विपरीत भारत में मध्यम वर्ग के घरों की महिलायें उस समय बहुत रूढ़िवादी (Orthodox) और पिछड़ी लगती थीं।

सारे बच्चे पाकिस्तान से आई उन महिलाओं को ऐसे देखते थे जैसे वो कोई दूसरे ग्रह के लोग हों। शाम के समय आई कुछ महिलायें जब हमारे रूढ़िवादी और अति पिछड़े मोहल्ले में बैडमिंटन खेलने लगीं तो वहां भीड़ जमा हो गई।

घर वालों ने उन सबको अंदर बुला लिया और समझाया कि यहां ऐसे लड़कियां मोहल्ले की सड़क पर बैडमिंटन नहीं खेलती हैं। पाकिस्तान से आई वो लड़कियां बड़ी हैरानी से हमारे लोगों की रूढ़िवादिता देख रही थीं क्योंकि वो सब बेहद पढ़ी-लिखी और खुले ख्यालों वाली थीं।

ये बहुत पुरानी बात नहीं है...

भारत में Islam पहले अभिजात वर्ग (Elite) और ऊंची जातियों में फैला था, क्योंकि ये सत्ता का धर्म था.. जिन्हें भी सत्ता की मलाई चखनी थी वो इसे अपनाने लगे.. हिंदुओं की ऊंची जातियों ने सबसे पहले इसमें प्रवेश (Entry) लिया।

Elite लोगों को रूढ़िवादी और धर्मांध बनने में समय लगा। ये ज्यादातर खुले विचारों वाले लोग थे, इनकी पीढ़ियां लग गईं रूढ़िवादी (Orthodox) बनने में.. फिर जब ये धर्म भारत के निम्न और मध्यम आय वर्ग में फैला, तब बड़ी तेज़ी से कट्टर और रूढ़िवादी बन गया।

जो भारत से पाकिस्तान गए थे उनमें से ज़्यादातर अभिजात वर्ग (Elite) तबके के मुसलमान थे जिन्हें नए देश में नई सत्ता स्थापित करके सत्ता की मलाई का भागीदार बनना था। जैसे-जैसे निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग की आबादी पाकिस्तान में बढ़ी, वहां धर्मांधता और कट्टरपन का बोल बाला शुरू हो गया।

How-did-Muslims-become-orthodox
Quaid-i-Azam-University(QAU)-1984-Islamabad-Pakistan

The Bhramjaal में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि मुसलमान रूढ़िवादी कैसे बन गए?

ऊपर दिख रही तस्वीर 1984 में पाकिस्तान के Islamabad में स्थित Quaid-i-Azam University (कायद-ए-आज़म यूनिवर्सिटी) की है। ये सब वहां के छात्र और छात्राएं हैं। इस तस्वीर में वहां की एक भी छात्रा आपको Hijab में नहीं दिखेगी।

लेकिन आज के दौर की इसी University की छात्राओं को देखेंगे तो शायद एक भी बगैर Hijab के न दिखें।

ऐसा हाल हर जगह शुरुआती दौर के मुसलमानों का रहा है। चाहे वो तुर्की हो या अन्य देश, सब धीरे-धीरे कट्टर होते गए और फिर इन सब में जैसे होड़ मच गई जाहिल और रूढ़िवादी (Orthodox) बनने की.. क्योंकि सदियों से रोशन ख्याल रहे यहूदी, हिंदू, ईसाई और अन्य Islam अपनाने के बाद भी लंबे समय तक उदार (Liberal) और खुले विचारों वाले बने रहे क्योंकि इनकी Genes में रूढ़िवादिता नहीं थी। इनके पुरखे बड़े खुले विचारों वाले थे।

इतनी उन्नत सोच की नस्लों को अरबी बद्दू, जो कि बंजारे और अति पिछड़े, न्यूनतम सोच और निम्न चेतना वाले लोग थे, उनकी तरह बनने में और अपनी नस्लों और सोच को Downgrade करने में सदियां लग गईं हैं, अब ये Breed कहीं जा कर 100% Downgrade हो पायी हैं।

सोचिए, तुर्की एक मुस्लिम देश है। अफगानिस्तान या सऊदी अरब की तुलना में वो रूढ़िवादी नहीं था। लेकिन 2013 तक तुर्की में भी सार्वजनिक स्थानों पर हेड स्कार्फ (हिजाब) पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

~ सिद्धार्थ ताबिश

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