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क्या सेक्स प्रेम नहीं है?

द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या सेक्स प्रेम नहीं है ? प्रेम से सरल कुछ भी नहीं। आपको कोई अच्छा ...

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द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में हम जानेंगे कि क्या सेक्स प्रेम नहीं है?

प्रेम से सरल कुछ भी नहीं। आपको कोई अच्छा लगता है, आप उसे खुश देखना चाहते हैं, अपने आसपास देखना चाहते हैं यह आपकी खुशी का हिस्सा है। अब प्यार किसी से कम, किसी से ज्यादा, किसी से बहुत ज्यादा हो सकता है। प्यार बस इतना ही होता है।

जीवन बहुत सरल है लेकिन आप माहिर हैं हर चीज़ को कठिन बना देने में !

पुरुष और महिला के प्रेम पाने और देने का तरीका एक दूसरे से बिल्कुल अलग होता है। महिला परवाह चाहती है और पुरुष भरोसा। महिला परवाह करती है इसलिए गाहे-बगाहे वो पुरुष को ज्ञान देती है, जो भी उसे समझ आता है और वो ये भी चाहती है कि पुरुष भी ठीक उसी तरह उसकी परवाह करें जैसे वह करती है, उसकी बात सुने, उसकी बातों को समर्थन दे। क्योंकि वह भी पुरुष के साथ यहीं करती है।

लेकिन पुरुष अक्सर ऐसा नहीं करते क्योंकि पुरुष के प्रेम का मीटर भरोसे पर ज्यादा टिकता होता है, वे उस महिला से कहीं ज्यादा प्रेम करेंगे जो भले उन्हें कम समय दे या उनकी बात में हामी न मिलाए लेकिन ये स्थापित कर दे कि वो उस पुरुष पर बहुत भरोसा करती है और पुरुष को ये अहसास हो जाये कि जब दुनिया साथ छोड़ देगी, तब भी वो मेरे साथ खड़ी रहेगी।

पुरुष को जब उस महिला से ज्यादा ज्ञान मिलने लगता है, अनचाही सीख मिलने लगती है, तब पुरुष के मन में ये बात कमजोर होती है कि वो उस पर भरोसा करती है और महिला की उसी परवाह से वो भागने लगता है।

ठीक उसी तरह महिला को भी जब अपनी बातों पर पुरुष से कोई समर्थन नहीं मिलता तो उसे लगता है कि पुरुष उसकी परवाह ही नहीं करता। वो ही अपना 100% क्यों दे। फिर इस तरह एक महाभारत की शुरुआत हो जाती है। असल में दोनों का प्यार को लेकर ट्रीटमेंट ही अलग है।

सेक्स का प्रेम से कोई लेना-देना नहीं। हाँ… Sex प्रेम का पार्ट हो सकता है, पर वो भी खुशी देने भर का हिस्सा मात्र है, किसी को सुख देने का माध्यम। जब प्रेम की बात की जाए तो Sex Prem Nahin Hai, सेक्स सिर्फ एक जरिया है सुख देने का।

अब यदि सिर्फ सेक्स की बात की जाए तो वो जीवन के लिए उतना ही जरूरी है जितना की खाना। जिस प्रकार पूर्ण और सही पोषण के अभाव में शरीर कुपोषित और बीमारियों का शिकार होता है सेक्स के अभाव में भी शरीर और दिमाग कुंठाओ और बीमारियों का शिकार हो जाता है। इसलिए सेक्स अपने आप मे पूर्ण है और पूर्णतः आवश्यक है।

यदि प्रेम के बिना सेक्स संभव नही होता या मजेदार नहीं होता तो 80% या उस से भी ज्यादा स्त्री-पुरुष पति-पत्नी के रूप में साथ रहते हुए इस क्रिया को करते है, वो क्यों करते? यदि प्रेम, सेक्स का आधार होता तो प्रेमी-प्रेमिका के बीच जो प्रेम के सबसे खूबसूरत मोड़ पर खड़े हो उनके बीच सेक्स करना सामाजिक रूप से क्यों गलत होता? समाज उस हर जोड़े को सेक्स करने की छूट देता जो प्रेम में है। परन्तु ऐसा नहीं है। इसलिए सेक्स और प्रेम अलग-अलग चीज़ें है जो आपस मे गुथी हुई हो सकती है, और अपने आप में पूर्णता अलग होते हुए भी पूर्ण हो सकती है।

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