द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में जानेंगे कि क्यों आंतरिक परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है? Why do we need inner transf...
द भ्रमजाल में एक बार फिर आपका स्वागत है। आज की चर्चा में जानेंगे कि क्यों आंतरिक परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है?
Why do we need inner transformation?
आपने देखा होगा ज्यादातर लोग नौकरी, कार, घर और दोस्त समेत बहुत सारी चीजें बदलते रहते हैं। लेकिन खुद को नहीं बदलते हैं, और न बदलने की कोशिश करते हैं। परिणाम स्वरूप, उनमें हर चीज के प्रति नकारात्मक सोच-समझ बनने लगती है।
जबकि, खुशी-खुशी जीवन जीने के लिए हमें बाहरी नहीं, आंतरिक परिवर्तन (Transformation) की आवश्यकता है। जैसे ही आप चीजों से अपनी पहचान दिखाना बंद कर देते हैं, मन शांत हो जाता है। यही तथ्य है, लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, सिवाय उसके अपने जंग के। इंसान को भी उसकी मानसिकता तबाह करती है। परेशानियां हालात से ज्यादा इंसानी सोच से उत्पन्न होती हैं। इसीलिए ख्यालात बदलते ही हालात बदलने लगते हैं।
ओशो कहते थे कि बुद्धि एक चाकू की तरह होती है, वह जितनी पैनी हो, उतनी ही अच्छी। पर जब आप अपने जीवन के हरेक पहलू को बुद्धि से चलाने की कोशिश करते हैं, तो यह वैसे ही है, जैसे आप अपने कपड़ों को चाकू से सीने की कोशिश कर रहे हैं।
इसलिए हालात जैसे भी हों, चिन्ताएँ पाले बिना खुश रहें। धन-दौलत या मौज-मस्ती के तामझाम से नहीं, बल्कि आप जो कुछ करते हैं, उसी से खुशी का अनुभव हो सकता है। अगर सुबह की चाय से खुशी मिलती है, तो इसे पूरे शौक से शानदार ढंग से बनाएं। तरह-तरह के कप खरीदें, किस्म-किस्म की चायपत्तियों का लुत्फ उठाएं। ऐसी सस्ती-छोटी खुशियों को अपना जुनून बना लें। बस यही आपके भीतर से अनचाहे ख्यालात का सफाया करेंगी और फिर आपको आस-पास की हर चीज खुशनुमा लगने लगेगी।
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